प्रेरणात्मक प्रसंग

👼👼💧💧👼💧💧👼👼

प्रेरणात्मक प्रसंग

Image by beauty_of_nature from Pixabay

एक गरीब आदमी की झोपड़ी पर रात को जोरों की वर्षा हो रही थी। वह सज्जन था। उसकी छोटी-सी झोपड़ी थी। स्वयं और उसकी पत्नी, दोनों सोए हुए थे।

आधी रात को किसी ने द्वार पर दस्तक दी।

उन सज्जन ने अपनी पत्नी से कहा - उठ, द्वार खोल दे।

पत्नी द्वार के करीब सो रही थी। पत्नी ने कहा - इस आधी रात में जगह कहाँ है? कोई अगर शरण मांगेगा तो तुम मना न कर सकोगे? वर्षा जोर की हो रही है। कोई शरण मांगने के लिए ही द्वार आया होगा न! जगह कहाँ है?

उस सज्जन ने कहा - जगह? दो के सोने के लायक तो काफी है, तीन के बैठने के लायक काफी हो जाएगी। तू दरवाजा खोल। लेकिन द्वार आए आदमी को वापिस तो नहीं लौटाना है।

दरवाजा खोला। कोई शरण ही मांग रहा था। वह भटक गया था और वर्षा मूसलाधार थी। वह अंदर आ गया। तीनों बैठकर गपशप करने लगे। सोने लायक तो जगह न थी।

थोड़ी देर बाद किसी और आदमी ने दस्तक दी। फिर फकीर ने अपनी पत्नी से कहा - खोल।

पत्नी ने कहा - अब करोगे क्या? जगह कहाँ है? अगर किसी ने शरण मांगी तो?

उस सज्जन ने कहा - अभी बैठने लायक जगह है, फिर खड़े रहेंगे। मगर दरवाजा खोल। जरूर कोई मजबूर है।

फिर दरवाजा खोला। वह अजनबी भी अंदर आ गया। अब वे खड़े होकर बातचीत करने लगे। इतना छोटा झोपड़ा और खड़े हुए चार लोग।

और तब अंततः एक कुत्ते ने आकर जोर से आवाज की। दरवाजे को हिलाया। फकीर ने कहा - दरवाजा खोलो।

पत्नी ने दरवाजा खोलकर झाँका और कहा - अब तुम पागल हुए हो। यह कुत्ता है, आदमी भी नहीं।

सज्जन बोले - हमने पहले भी आदमियों के कारण दरवाजा नहीं खोला था, अपने हृदय के कारण खोला था। हमारे लिए कुत्ते और आदमी दोनों जीवात्मा हैं, आत्मा में क्या फर्क? हमने मदद के लिए दरवाजा खोला था। उसने भी आवाज दी है। उसने भी द्वार हिलाया है। उसने अपना काम पूरा कर दिया, अब हमें अपना काम करना है। दरवाजा खोलो।

उनकी पत्नी ने कहा - अब तो खड़े होने की भी जगह नहीं है।

उसने कहा - अभी हम जरा आराम से खड़े हैं, फिर थोड़े सटकर खड़े होंगे और एक बात याद रख। यह कोई अमीर का महल नहीं है कि जिसमें जगह की कमी हो। यह गरीब का झोपड़ा है, इसमें खूब जगह है। जगह महलों में और झोपड़ों में नहीं होती, जगह तो दिलों में होती है।

अक्सर आप पाएँगे कि गरीब कभी कंजूस नहीं होता। उसका दिल बहुत बड़ा होता है। कंजूस होने योग्य उसके पास कुछ है ही नहीं। पकड़े तो पकड़े क्या? जैसे-जैसे आदमी अमीर होता है, वैसे कंजूस होने लगता है, उसमें मोह बढ़ता है, लोभ बढ़ता है।

अतः जरूरतमंद को अपनी क्षमता अनुसार अवश्य शरण दीजिए। दिल बड़ा रखकर अपने दिल में औरों के लिए जगह जरूर रखिये।

खुशी का पीछा न करें, इसे उत्पन्न करें।

हम में से बहुत से लोग खुशी को जटिल बनाते हैं, इसलिए यह एक क्षणभंगुर भावना की तरह लगता है। पैसा, भोजन, कार, संपत्ति या पद कमाने के लिए हमें कुछ करने की जरूरत है। लेकिन हम वही समीकरण लागू करते हैं कि खुशी कमाने के लिए कुछ करना होता है। तो हम या तो इसकी प्रतीक्षा करते हैं, इसकी खोज करते हैं, इसका पीछा करते हैं, इसे खरीदने के लिए देखते हैं, इसकी मांग करते हैं, इसे स्थगित करते हैं, या इसे किसी उपलब्धि के साथ जोड़ते हैं।

तो एक समाज के रूप में हम आज धनी और सफल हो गए हैं लेकिन खुश नहीं हैं। सच तो यह है कि हम जहाँ हैं वहीं खुशी पैदा की जा सकती है। यह हमारे साथ है और हमारे भीतर है। करने के लिए कुछ नहीं है, हमें बस पल-पल खुश रहने की जरूरत है।

क्या हम हमेशा खुश रह सकते हैं? यह हमारी पसंद है। खुशी का मतलब यह नहीं है कि हम नकारात्मकता या दर्द को नकार दें। साथ ही हमें याद रखना चाहिए कि हमारे जीवन में परिस्थितियाँ या लोग हमारी खुशियाँ चुराने के लिए नहीं हैं। वे अपनी भूमिका निभा रहे हैं। वे हमें कभी-कभी चुनौती देते हैं लेकिन अन्य सभी समयों में हम ही होते हैं जो स्वयं को खुश होने से रोकते हैं। खुशी केवल एक मनोदशा या भावना के बारे में नहीं है, यह हमें हमारे रास्ते में आने वाली किसी भी चुनौती को पार करने की शक्ति प्रदान करती है। यह हमारे मन, बुद्धि और शरीर को शांति, ज्ञान और आशावाद से काम करने का कारण बनती है। इसलिए समस्याएं दुःख नहीं देती, इसके बजाय हम अनुभवों से सीखेंगे और आगे बढ़ेंगे।

खुश लोग ही लोगों को खुश करते हैं। लेकिन अक्सर हम अपने लक्ष्यों पर इतने केंद्रित हो जाते हैं कि हम वहाँ पहुंचने की प्रक्रिया का आनंद लेना भूल जाते हैं। अगर हम गलत कर्म नहीं भी करते हैं, तो भी हमारी खुशी कम होने लगती है क्योंकि हम अपने मूल गुणों जैसे संतोष या हल्केपन से संपर्क खो देते हैं। यह हमारे प्रदर्शन, स्वास्थ्य और रिश्तों को प्रभावित करता है।

आइए हम खुशी को अपनी प्राथमिकता सूची में सबसे ऊपर रखें, जिसका अर्थ है कि हम इसकी जिम्मेदारी लेने का वादा करते हैं। जब हम खुश होते हैं तो हमारे आस-पास के सभी लोगों को इसमें हिस्सा मिलता है - हम ऐसा तोहफा देते हैं जो दुनिया को खूबसूरत बनाता है।

--

सरिता जैन

सेवानिवृत्त हिन्दी प्राध्यापिका

हिसार

🙏🙏🙏


विनम्र निवेदन

यदि आपको यह लेख प्रेरणादायक और प्रसन्नता देने वाला लगा हो तो कृपया comment के द्वारा अपने विचारों से अवगत करवाएं और दूसरे लोग भी प्रेरणा ले सकें इसलिए अधिक-से-अधिक share करें।

धन्यवाद।

Comments

Popular posts from this blog

अगली यात्रा - प्रेरक प्रसंग

Y for Yourself

आज की मंथरा

आज का जीवन -मंत्र

बुजुर्गों की सेवा की जीते जी

स्त्री के अपमान का दंड

आपस की फूट, जगत की लूट

वाणी हमारे व्यक्तित्व का दर्पण है

मीठी वाणी - सुखी जीवन का आधार

वाणी बने न बाण