आज का जीवन -मंत्र
आज का जीवन -मंत्र
शब्दों को अपने अनुसार प्रयोग करके कुछ लोग दूसरों को नुकसान पहुँचाते हैं। एक घोड़ा अपने अस्तबल में आता है, तो सोचता है कि थोड़ा आराम कर लूँ।
इतने में कुत्ता उसके पास आता है और पूछता है, “कैसे हो?“
घोड़ा कहता है - थक गया हूँ, यार! अब थोड़ा आराम चाहता चाहता हूँ।
कुत्ता गाय के पास जाता है और कहता है, “घोड़े को देखा तुमने? आजकल उसका दिल यहाँ नहीं लग रहा। कहता है बहुत थक जाता हूँ।“ (यहाँ घोड़े ने ‘थक गया हूँ’ कहा था, जबकि कुत्ते ने उसके स्थान पर “थक जाता हूँ“ शब्दों का प्रयोग किया।)
गाय भैंस के पास गई और बोली - “लगता है कि घोड़ा अब यहॉँ नहीं रहना चाहता। बोलता है कि बहुत काम करना पड़ता है।“
भैंस बकरी के पास गई और बोली, “लगता है घोड़े को अब यहाँ रहना अच्छा नहीं लग रहा। कहता है - मालिक बहुत काम करवाता है। मारता भी है।(शब्दों का हेर फेर चल रहा है, मसाला लग रहा है।)
शाम को नौकर आया तो बकरी उसके पास गई और बोली, “ घोड़े के नखरे बढ़ गए हैं। उसे मालिक से बहुत शिकायतें हो गई हैं। अब शायद वह यहाँ नहीं रहेगा। कहीं भाग जाएगा।“
नौकर मालिक के पास गया और बोला, “मालिक! घोड़ा विद्रोह पर उतर आया है। सारे जानवरों को भड़का रहा है। अब वह यहाँ पर नहीं रहेगा। सारे जानवरों को लेकर किसी और मालिक के पास भागने की फिराक में है।
मालिक को गुस्सा आया और उसी रात घोड़े को जहर का इंजेक्शन देकर मार दिया गया।
सीख :- ये दुनिया बहुत शातिर है। हर बात को नमक मिर्च लगा कर बताती है। अपनी और अपने परिवार की बातों को हर किसी को मत बताओ। यहाँ हर कोई आपकी बताई गई बात को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करेगा। यहाँ लोग सिर्फ मुँह पर अपने हैं। पीठ पीछे सब जड़ें काटने में लगे हैं।
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सरिता जैन
सेवानिवृत्त हिन्दी प्राध्यापिका
हिसार
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