हँसने का बहाना
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हँसने का बहाना
Image by Ilona Ilyés from Pixabay
एक सासु माँ और बहू थी।
सासु माँ हर रोज ठाकुर जी की पूरे नियम और श्रद्धा के साथ सेवा करती थी।
एक दिन शरद ऋतु में सासु माँ को किसी कारणवश शहर से बाहर जाना पड़ा।
सासु माँ ने विचार किया कि ठाकुर जी को साथ ले जाने से रास्ते में उनकी सेवा-पूजा नियम से नहीं हो सकेगी। अतः ठाकुर जी की सेवा का कार्य अब बहु को देना पड़ेगा लेकिन बहु को तो कोई अक्ल है ही नहीं कि ठाकुर जी की सेवा कैसे करनी है?
सासु माँ ने बहु को बुलाया और समझाया कि ठाकुर जी की सेवा कैसे करनी है। कैसे ठाकुर जी को लाड़ लड़ाना है। सासु माँ ने बहु को समझाया कि बहु! मैं यात्रा पर जा रही हूँ और अब ठाकुर जी की सेवा पूजा का सारा कार्य तुमको करना है। देख! ऐसे तीन बार घंटी बजाकर सुबह ठाकुर जी को जगाना। फिर ठाकुर जी को मंगल भोग कराना। फिर ठाकुर जी को स्नान करवाना। ठाकुर जी को कपड़े पहनाना। फिर ठाकुर जी का शृंगार करना और फिर ठाकुर जी को दर्पण दिखाना। दर्पण में ठाकुर जी का हंसता हुआ मुख देखना। बाद में ठाकुर जी को राजभोग लगाना।
इस तरह सासु माँ बहु को सारे सेवा नियम समझा कर यात्रा पर चली गई।
अब बहु ने ठाकुर जी की सेवा कार्य उसी प्रकार शुरू किया जैसा सासु माँ ने समझाया था।
ठाकुर जी को जगाया, नहलाया, कपड़े पहनाये, श्रृंगार किया और दर्पण दिखाया।
सासु माँ ने कहा था कि दर्पण में ठाकुर जी को हंसता हुआ देखकर ही राजभोग लगाना।
दर्पण में ठाकुर जी का हंसता हुआ मुख न देखकर बहु को बड़ा आश्चर्य हुआ।
बहु ने विचार किया कि शायद मुझसे सेवा में कहीं कोई गलती हो गई है, तभी दर्पण में ठाकुर जी का हंसता हुआ मुख नहीं दिख रहा।
बहु ने फिर से ठाकुर जी को नहलाया, श्रृंगार किया, दर्पण दिखाया। लेकिन ठाकुर जी का हंसता हुआ मुख नहीं दिखा।
बहु ने फिर विचार किया कि शायद फिर से कुछ गलती हो गई। बहु ने फिर से ठाकुर जी को नहलाया, श्रृंगार किया, दर्पण दिखाया।
जब ठाकुर जी का हंसता हुआ मुख नहीं दिखा तो बहु ने फिर से ठाकुर जी को नहलाया।
ऐसे करते-करते बहु ने ठाकुर जी को 12 बार स्नान कराया। हर बार दर्पण दिखाया मगर ठाकुर जी का हंसता हुआ मुख नहीं दिखा।
अब बहु ने 13वीं बार फिर से ठाकुर जी को नहलाने की तैयारी की।
अब ठाकुर जी ने विचार किया कि यदि इसको हंसता हुआ मुख नहीं दिखा तो ये तो आज पूरा दिन नहलाती रहेगी।
अब बहु ने ठाकुर जी को नहलाया, कपड़े पहनाये, शृंगार किया और दर्पण दिखाया।
अब बहु ने जैसे ही ठाकुर जी को दर्पण दिखाया तो ठाकुर जी अपनी मनमोहिनी मंद-मंद मुस्कान से हंसे। बहु को संतोष हुआ कि अब ठाकुर जी ने मेरी सेवा स्वीकार कर ली।
अब यह रोज़ का नियम बन गया। ठाकुर जी रोज़ हंसते। सेवा करते-करते अब तो ऐसा हो गया कि बहु जब भी ठाकुर जी के कमरे में जाती, बहु को देखकर ठाकुर जी हँसने लगते।
कुछ समय बाद सासु माँ वापस आ गई। सासु माँ ने ठाकुर जी से कहा कि प्रभु क्षमा करना। अगर बहु से आपकी सेवा में कोई कमी रह गई हो तो अब मैं आ गई हूँ। आपकी सेवा पूजा बड़े ध्यान से करूंगी।
तभी सासु माँ ने देखा कि ठाकुर जी हंसे और बोले कि मैय्या आपकी सेवा-भाव में कोई कमी नहीं है। आप बहुत सुंदर सेवा करती हैं, लेकिन मैय्या दर्पण दिखाने की सेवा तो आपकी बहु से ही करवानी है। इस बहाने मैं हँस तो लेता हूँ।
अतः हर किसी की सेवा प्रसन्न भाव से करनी चाहिए। इस बहाने वह हंस तो लेगा। तभी हमें उसका आशीर्वाद मिल सकेगा।
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सरिता जैन
सेवानिवृत्त हिन्दी प्राध्यापिका
हिसार
🙏🙏🙏
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धन्यवाद।
Good learning
ReplyDeleteSeva bhav man se karo