वास्तु शास्त्र
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वास्तु शास्त्र
सम्पत सिंह ने व्यापार में अच्छे पैसे कमाने के बाद फनवर्ल्ड के पास एक पाँच बीघा जमीन खरीदी, जिस पर एक दो मंजिला सुन्दर-सा घर और चारों तरफ पेड़, पौधे और हरियाली रहने दी। उसमें सम्पत ने एक छोटा सा स्विमिंग पूल बनाया। स्विमिंग पूल के पास एक पचास-साठ साल पुराना आम का पेड़ था। उसको सम्पत ने जैसा था, वैसे ही रहने दिया। दरअसल सम्पत सिंह ने ये पाँच बीघे का फार्म हाउस इस आम के पेड़ के कारण ही खरीदा था, क्योंकि उसकी बीवी को आम बहुत पसंद थे।
जब सम्पत ने इस फार्म हाउस को खरीदा और उसका रैनोवेशन करवा रहा था तो उसके बहुत से मित्रों ने उसे किसी वास्तु शास्त्र वाले से सलाह लेने को कहा। हालांकि सम्पत सिंह को वास्तु शास्त्र पर बिल्कुल भी भरोसा नहीं था, लेकिन दोस्तों का आग्रह था तो उसने शहर के जाने माने वास्तु शास्त्री मनु शर्मा को अपने फार्म हाउस ले जाना तय किया।
मनु शर्मा विश्व प्रसिद्ध चालीस साल के तजुर्बा वाला वास्तु शास्त्री था। श्रीराम एक्सिलैंसी में खाना खाने के बाद सम्पत और मनु शर्मा फनवर्ल्ड की तरफ अपनी कार में जाने लगे। सम्पत सिंह बहुत आराम से गाड़ी चला रहे थे। हल्का हल्का संगीत गाड़ी में चल रहा था।
पीछे से कोई गाड़ी आती और हॉर्न बजाती, तो सम्पत सिंह बहुत आसानी से उसे साईड दे देते। मनु शर्मा को लगा कि सम्पत सिंह को बिल्कुल भी जल्दी नहीं है और पूरी दुनिया का वक्त सम्पत के पास है।
सम्पत की ड्राइविंग देखकर मनु शर्मा ने कहा, “भाई, तुम्हारी ड्राईविंग बिल्कुल सेफ है।” सम्पत हल्का सा मुस्कुरा कर बोला, “सामान्यतया जो लोग ओवरटेक करते हैं, उनको कोई अर्जेंट काम होता होगा। तो हमें उसको साईड देनी चाहिये ना।”
जैसे ही वो फनवर्ल्ड के पास अपने फार्म हाऊस के नज़दीक पहुँचने लगे तो सड़क थोड़ी संकरी होने लगी। सम्पत्त ने अपनी गाड़ी की गति को और धीमी कर दिया।
अचानक बांयी गली से आठ-नौ साल का एक बच्चा खिलखिलाता हुआ तेजी से दौड़ कर सम्पत वाली सड़क पर गाड़ी के सामने आते हुए दिखा। सम्पत की गाड़ी वैसे भी धीरे चल रही थी। उसने गाड़ी की स्पीड और धीरे कर ली। मनु ने पूछा, “अब तो वो बच्चा सड़क पार कर चुका है, अब इतनी धीरे क्यों चला रहे हो यार सम्पत?”
सम्पत ने उत्तर दिया, “वो बच्चा दौड़ता-दौड़ता गाड़ी के सामने आया, तो जाहिर है, उसके पीछे कोई और बच्चा दौड़ रहा होगा, इसलिए सम्पत गाड़ी को लगभग रोके हुए उस गली की तरफ देख रहा था जिधर से वो पहला बच्चा भाग कर आया था।”
मनु शर्मा ने सम्पत का कन्धा थपथपाया और कहा, “कमाल है यार, कितनी समझ, कितना धैर्य! जैसे ही सम्पत अपने फार्महाउस में घुसा तो उसके कॉटेज के पीछे आम के पेड़ से 15 - 20 पक्षी पंख फड़फड़ाते हूए उड़े। सम्पत ने गाड़ी वहीं रोक दी और मनु शर्मा को कहा, “कुछ देर यहीं रुको, मुझे लगता है कि मौहल्ले या पड़ोस का कोई बच्चा आम के पेड़ से आम चुरा रहा है, तभी पक्षी एकदम उड़े। अगर हम एकदम गाड़ी ले कर पेड़ के पास पहुँच गये तो पकड़े जाने की हड़बडाहट में वो बच्चा आम के पेड़ से गिर जायेगा और उसको चोट लगेगी।”
सम्पत का यह उत्तर सुनकर दुनिया का मशहूर वास्तु शास्त्री मनु शर्मा सन्न रह गया। मनु शर्मा ने थोड़ी देर रुक कर कहा, “सम्पत दोस्त! तुम्हारे फार्म हाउस को वास्तु शास्त्र की ज़रूरत ही नहीं है।” सम्पत ने मनु से पूछा, “ऐसा क्यों?”
तो मनु ने कहा, “कोई भी जगह जो तुम जैसे शाँत, धैर्यशील व्यक्ति की उपस्थिति से नवाज़ दी जाए वो जगह अपने आप ही वास्तु शास्त्र के हिसाब से शुभ हो जायेगी। सुकून और शाँति के एतबार से जब हमारा मन अपनी प्राथमिकता को छोड़कर दूसरे की प्राथमिकता को तरजीह देता है तो उससे दूसरे आदमी से ज़्यादा सुकून और खुशी स्वयं को मिलती है!!
सदैव प्रसन्न रहिये।
जो प्राप्त है, पर्याप्त है।।
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सरिता जैन
सेवानिवृत्त हिन्दी प्राध्यापिका
हिसार
🙏🙏🙏
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