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Showing posts from September, 2022

एक पहेली (भाग - 7)

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 एक पहेली (भाग - 7 ) Image by Tom from Pixabay प्रिय बंधुओं, सम्राट विक्रमादित्य से सम्बन्धित कहानी का सातवाँ और अंतिम भाग अब मैं आप सभी के सम्मुख प्रस्तुत करने जा रहा हूँ। पिछली कड़ी में आपने पढ़ा था कि वृद्ध ब्राह्मण रूपी “काल” सम्राट् विक्रमादित्य को सांसारिक प्राणी के मृत्यु के समय की परिस्थिति एवं स्थान के विषय में जानकारी दे रहे थे। अब आगे की कथा.... “अगर उन सिपाही भाईयों की बात करें, तो उनको भी मैंने नहीं मारा। उनकी मृत्यु एक दूसरे के हाथों लिखी थी। अतः उनके लिए मुझे सुन्दर लड़की बनना पड़ा। नाव में सवार कुछ लोगों की मृत्यु पानी में डूबने से लिखी थी, इसके लिए मुझे भयानक नाग का रूप धारण करना पड़ा। राजन्! मुझे लगता है कि अब तो आप अच्छी तरह समझ गये होंगे कि मैं कौन हूँ और तुम्हारी नगरी में क्यों आया था ? और यह भी समझ गए होंगे कि समय, स्थान और परिस्थिति की सांसारिक प्राणी के जीवन में कितनी बड़ी भूमिका होती है।” राजा विक्रमादित्य ने वृद्ध ब्राह्मण रूपी “काल” की बात बहुत ध्यान से सुनी और गम्भीर हो गये। “काल” कहने लगा, “हे राजन्! अब मैं चलता हूँ।” राजा विक्रमादित्य बोले,...

एक पहेली (भाग - 6)

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 एक पहेली (भाग - 6 ) Image by Hanshin Jo from Pixabay दोस्तों! सम्राट विक्रमादित्य से सम्बंधित कहानी का छठा भाग अब मैं आप सभी के सम्मुख रखने जा रहा हूं....। पिछली कड़ी में आपने पढ़ा था कि वृद्ध ब्राह्मण ने अपने विषय में सम्राट् विक्रमादित्य को बताना शुरू किया - “हे राजन्! मैं तुम्हें बताता हूँ कि मैं कौन हूँ। जो भी मैं बताऊँगा, एक-एक शब्द ध्यान लगाकर सुनना। मेरा नाम “काल” है। तुम जानते हो कि इस संसार में जितने भी प्राणी जन्म लेते हैं, उनकी मृत्यु निश्चित है। इसलिए इस भूमि को मृत्युलोक भी कहा जाता है। जब प्राणी माता के गर्भ में आता है, तो आत्मा उसमें प्रवेश करती है अर्थात् वह सजीव हो उठता है। उसी समय, उसकी मृत्यु का समय, स्थान और परिस्थिति, अर्थात् मृत्यु किस प्रकार से होगी, यह सब विधाता की ओर से निश्चित कर दिया जाता है। राजन्! तुम यह भी जानते हो कि दुनिया के हर प्राणी के जन्म-मरण का लेखा-जोखा चित्रगुप्त के पास है। जब भी किसी प्राणी की मृत्यु का समय आ जाता है, तो वह धर्मराज को सूचित करते हैं। अब क्योंकि सभी प्राणियों की मुक्ति (मृत्यु) का विभाग भगवान शिव के पास है। अत...

एक पहेली (भाग - 5)

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 एक पहेली (भाग - 5 ) Image by Couleur from Pixabay दोस्तों! सम्राट विक्रमादित्य से सम्बंधित कहानी का पाँचवा भाग अब मैं आप सभी के सम्मुख प्रस्तुत करने जा रहा हूँ....। पिछली कड़ी में आपने पढ़ा था कि सम्राट विक्रमादित्य वृद्ध ब्राह्मण बने उस रहस्यमयी (बला) छलावे से पूछ रहे हैं कि वह कौन है....। अब आगे.... “अब आपने वृद्ध ब्राह्मण का रूप धारण किया हुआ है। अब सीधी तरह से सच-सच बता दो, आप कौन हो ? ” वह बोला, “यदि न बताऊँ तो ? ” यह सुन कर राजा ने अपनी तलवार निकाल ली और बोले, “तो फिर मरने के लिए तैयार हो जाओ। तुम जानते नहीं, यह राजा विक्रमादित्य की नगरी है और मैं राजा का वफादार नौकर हूँ। इस धर्मात्मा राजा की नगरी में, इतने लोगों की जान लेकर तुम जीवित बच कर नहीं जा सकते। अब मरने से पहले जल्दी से ये बता दो कि तुम कौन हो ? ” राजा विक्रमादित्य की यह धमकी सुनकर, वह वृद्ध ब्राह्मण जोर-जोर से खिलखिलाकर हँस पड़ा और बोला, “मैं जानता हूँ कि यह महाप्रतापी सम्राट विक्रमादित्य की राजधानी है और मैं यह भी जानता हूँ कि तुम ही विश्वप्रसिद्ध सम्राट् विक्रमादित्य हो। फिर भी एक बात जान लो कि तुम ...

एक पहेली (भाग - 4)

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 एक पहेली (भाग - 4 ) Image by Hans Benn from Pixabay दोस्तों! सम्राट विक्रमादित्य से सम्बंधित कहानी का चौथा भाग अब मैं आप सभी के सम्मुख प्रस्तुत करने जा रहा हूँ....। पिछली कड़ी में आपने पढ़ा था कि वह जहरीला नाग नदी में से बाहर निकला और फिर उसने एक वृद्ध ब्राह्मण का रूप धारण कर लिया। राजा विक्रमादित्य तो उस छलावे (रहस्यमयी बला) का पीछा कर रहे थे। अब राजा विक्रमादित्य तेज़-तेज़ कदमों से चलते-चलते, उस वृद्ध ब्राह्मण (छलावे) के सम्मुख पहुँच गए और उसे हाथ जोड़ कर प्रणाम किया। वृद्ध ब्राह्मण ने भी हाथ उठाकर अभिवादन स्वीकार किया। तब राजा विक्रमादित्य ने उससे प्रश्न किया, “आप कौन हैं ? ” वह बोला, “तुम्हें दिखाई नहीं देता ? ब्राह्मण हूँ, और क्या।” राजा बोला, “आप असत्य बोल रहे हो, आप ब्राह्मण तो नहीं हो।” वह बोला, “तो फिर तुम ही बता दो मैं कौन हूँ ? ” राजा बोला, “तुम वह नहीं हो, जो नज़र आ रहे हो।” वह बोला, “मैं जो कुछ भी हूँ, तुम्हें इससे क्या लेना-देना ? तुम अपने काम से काम रखो और अपना रास्ता नापो।” राजा बोला, “मैं सच्चाई जाने बिना आपका पीछा नहीं छोड़ूँगा। आपको सच्चाई बतानी ही प...

एक पहेली (भाग - 3)

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 एक पहेली (भाग - 3 ) Image by Michael Schwarzenberger from Pixabay सम्राट विक्रमादित्य से सम्बंधित कथा का आगे का भाग अब तक सूर्य भगवान् भी पूर्ण रूप से उदय हो चुके थे। परंतु सम्राट विक्रमादित्य “एक रीछ के वृक्ष पर चढ़ने और फिर एक सुन्दर लड़की का रुप बदलने की” विचित्र घटना अपनी आँखों से देख कर अपनी सुध-बुध खो बैठे थे। उन्हें अपनी भूख-प्यास व राजपाट के विषय में कुछ भी ध्यान न रहा। ध्यान रहा, तो केवल उस रहस्यमयी सुन्दर लड़की के विषय में जानने की जिज्ञासा! अतः उस सुन्दर लड़की का सावधानी पूर्वक दूरी बना कर पीछा करते-करते लगभग दो सौ कदम आगे चलने के बाद राजा विक्रमादित्य के विस्मय की सीमा न रही! क्योंकि राजा विक्रमादित्य के देखते ही देखते, एकाएक वही सुन्दर लड़की, अब एक लड़की नहीं रही थी, अपितु एक जहरीले नाग का रूप धारण कर चुकी थी। वह जहरीला नाग अब बड़ी तेज़ी से आगे बढ़ने लगा। कुछ दूर आगे चलकर एक नदी बह रही थी। वह भयानक जहरीला नाग नदी किनारे पहुंच कर, कुछ क्षण रुका और राजा के देखते ही देखते नदी में कूद गया। नदी के बीचों-बीच एक नाव चल रही थी, जिसमें बीस-पच्चीस लोग सवार थे। वह जहरीला...

एक पहेली (भाग - 2)

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 एक पहेली (भाग - 2 ) Image by ekrem from Pixabay सम्राट विक्रमादित्य के गतांक में हमने पढ़ा था कि लक्कड़हारे की मृत्यु के बाद वह भयानक रीछ एक सुन्दर लड़की के रुप में परिवर्तित हो गया और वह सुन्दर लड़की कुएँ की मुण्डेर पर जाकर बैठ गई। थोड़ी ही देर में राजा के दो सिपाही, जो रात्रि गश्त पर थे, उधर आ निकले और इत्तेफाक से दोनों सिपाही आपस में सगे भाई थे। छोटे भाई की नज़र जब कुएँ की मुण्डेर पर बैठी उस सुन्दर लड़की पर पड़ी तो बड़े भाई से बोला, “देख भाई, कितनी सुन्दर लड़की बैठी है! मेरा मन कर रहा है, कि मैं इससे विवाह कर लूँ।” बड़ा भाई बोला, “बड़े भाई के होते हुए छोटा भाई कैसे विवाह कर सकता है ? बड़ा होने के नाते पहल मेरी है, इसलिये इससे विवाह तो मैं ही करूँगा।” तब छोटा भाई बोला, “इसे पहले मैने देखा है, इसलिये इससे विवाह तो मैं ही करूँगा।” तब बड़ा भाई बोला कि हम तो व्यर्थ ही झगड़ रहे हैं। क्यों न हम इस लड़की से ही पूछ लें ? यह हम दोनों में से जिसे पसन्द करेगी, वही इस लड़की से विवाह कर लेगा। इस प्रकार आपस में निर्णय करके, दोनों भाई उस लड़की के पास पहुँचे। बड़े भाई ने उस लड़की से प्रश्न किया,...

एक पहेली (भाग - 1)

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 एक पहेली (भाग - 1 ) Image by Pexels from Pixabay मानव जीवन में, समय, परिस्थिति और स्थान बड़ी भूमिका अदा करते हैं। कई बार, जो कुछ भी घटित होना होता है, उसी के अनुरूप परिस्थितियां बनती चली जाती हैं। कलियुग में एक ही चक्रवर्ती सम्राट हुए हैं और वे थे - सम्राट विक्रमादित्य। जिनके नाम पर भारतवर्ष में “विक्रम सम्वत्” की शुरुआत हुई। विक्रमादित्य एक बहुत ही पराक्रमी, विद्वान, कुशल प्रजापालक, धर्मज्ञ एवं परोपकारी राजा थे। वे गुरु गोरखनाथ के शिष्य राजा भर्तृहरि के अनुज (छोटे भाई) थे। राजा विक्रमादित्य अपनी प्रजा को पुत्रवत् प्यार करते थे तथा रात्रि में वेश बदल कर अपनी प्रजा के हालात और कुशलक्षेम जानने के लिए नगर भ्रमण हेतु निकल जाया करते थे। एक बार यूँ ही राजा विक्रमादित्य, वेश बदल कर देर रात्रि में नगर भ्रमण हेतु निकले। भ्रमण करते-करते अमृत वेला का समय हो गया। पौ फटने लगी थी। भोर के इस समय राजा विक्रमादित्य नगर की परिक्रमा वाले मार्ग से गुज़र रहे थे। मार्ग के दूसरी ओर घना जंगल प्रारम्भ हो जाता था। यकायक राजा ने देखा कि एक नौजवान लक्कड़हारा कन्धे पर कुल्हाड़ी लिये जंगल में प्रव...