एक पहेली (भाग - 7)
👼👼💧💧👼💧💧👼👼 एक पहेली (भाग - 7 ) Image by Tom from Pixabay प्रिय बंधुओं, सम्राट विक्रमादित्य से सम्बन्धित कहानी का सातवाँ और अंतिम भाग अब मैं आप सभी के सम्मुख प्रस्तुत करने जा रहा हूँ। पिछली कड़ी में आपने पढ़ा था कि वृद्ध ब्राह्मण रूपी “काल” सम्राट् विक्रमादित्य को सांसारिक प्राणी के मृत्यु के समय की परिस्थिति एवं स्थान के विषय में जानकारी दे रहे थे। अब आगे की कथा.... “अगर उन सिपाही भाईयों की बात करें, तो उनको भी मैंने नहीं मारा। उनकी मृत्यु एक दूसरे के हाथों लिखी थी। अतः उनके लिए मुझे सुन्दर लड़की बनना पड़ा। नाव में सवार कुछ लोगों की मृत्यु पानी में डूबने से लिखी थी, इसके लिए मुझे भयानक नाग का रूप धारण करना पड़ा। राजन्! मुझे लगता है कि अब तो आप अच्छी तरह समझ गये होंगे कि मैं कौन हूँ और तुम्हारी नगरी में क्यों आया था ? और यह भी समझ गए होंगे कि समय, स्थान और परिस्थिति की सांसारिक प्राणी के जीवन में कितनी बड़ी भूमिका होती है।” राजा विक्रमादित्य ने वृद्ध ब्राह्मण रूपी “काल” की बात बहुत ध्यान से सुनी और गम्भीर हो गये। “काल” कहने लगा, “हे राजन्! अब मैं चलता हूँ।” राजा विक्रमादित्य बोले,...