एक पहेली (भाग - 4)
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एक पहेली (भाग - 4)
Image by Hans Benn from Pixabay
दोस्तों! सम्राट विक्रमादित्य से सम्बंधित कहानी का चौथा भाग अब मैं आप सभी के सम्मुख प्रस्तुत करने जा रहा हूँ....।
पिछली कड़ी में आपने पढ़ा था कि वह जहरीला नाग नदी में से बाहर निकला और फिर उसने एक वृद्ध ब्राह्मण का रूप धारण कर लिया। राजा विक्रमादित्य तो उस छलावे (रहस्यमयी बला) का पीछा कर रहे थे।
अब राजा विक्रमादित्य तेज़-तेज़ कदमों से चलते-चलते, उस वृद्ध ब्राह्मण (छलावे) के सम्मुख पहुँच गए और उसे हाथ जोड़ कर प्रणाम किया। वृद्ध ब्राह्मण ने भी हाथ उठाकर अभिवादन स्वीकार किया।
तब राजा विक्रमादित्य ने उससे प्रश्न किया, “आप कौन हैं?”
वह बोला, “तुम्हें दिखाई नहीं देता? ब्राह्मण हूँ, और क्या।”
राजा बोला, “आप असत्य बोल रहे हो, आप ब्राह्मण तो नहीं हो।”
वह बोला, “तो फिर तुम ही बता दो मैं कौन हूँ?”
राजा बोला, “तुम वह नहीं हो, जो नज़र आ रहे हो।”
वह बोला, “मैं जो कुछ भी हूँ, तुम्हें इससे क्या लेना-देना? तुम अपने काम से काम रखो और अपना रास्ता नापो।”
राजा बोला, “मैं सच्चाई जाने बिना आपका पीछा नहीं छोड़ूँगा। आपको सच्चाई बतानी ही पड़ेगी।”
वह बोला, “मैंने तुम्हें बताया तो है कि मैं एक ब्राह्मण हूँ।”
राजा बोला, “आप मुझसे झूठ नहीं बोल सकते। मैं आपका तब से पीछा कर रहा हूँ, जब आप रीछ बने हुए थे।
उस समय आपने उस नौजवान लक्कड़हारे को मारा। फिर आप एक सुन्दर लड़की बने और उन दोनों सिपाही भाईयों को एक-दूसरे के हाथों मरवा दिया।
फिर आपने एक जहरीले नाग का रूप धारण करके नदी में छलाँग लगा दी और नदी पार कर रही नाव में घुस गये। और तुम्हारी दहशत के कारण नाव में सवार यात्रियों में भगदड़ मच गई, नाव पलट गई और आधे यात्री नदी में डूब कर मर गए....।”
क्रमशः
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सरिता जैन
सेवानिवृत्त हिन्दी प्राध्यापिका
हिसार
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