एक पहेली (भाग - 2)

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एक पहेली (भाग - 2)

Image by ekrem from Pixabay

सम्राट विक्रमादित्य के गतांक में हमने पढ़ा था कि लक्कड़हारे की मृत्यु के बाद वह भयानक रीछ एक सुन्दर लड़की के रुप में परिवर्तित हो गया और वह सुन्दर लड़की कुएँ की मुण्डेर पर जाकर बैठ गई।

थोड़ी ही देर में राजा के दो सिपाही, जो रात्रि गश्त पर थे, उधर आ निकले और इत्तेफाक से दोनों सिपाही आपस में सगे भाई थे। छोटे भाई की नज़र जब कुएँ की मुण्डेर पर बैठी उस सुन्दर लड़की पर पड़ी तो बड़े भाई से बोला, “देख भाई, कितनी सुन्दर लड़की बैठी है! मेरा मन कर रहा है, कि मैं इससे विवाह कर लूँ।”

बड़ा भाई बोला, “बड़े भाई के होते हुए छोटा भाई कैसे विवाह कर सकता है? बड़ा होने के नाते पहल मेरी है, इसलिये इससे विवाह तो मैं ही करूँगा।” तब छोटा भाई बोला, “इसे पहले मैने देखा है, इसलिये इससे विवाह तो मैं ही करूँगा।”

तब बड़ा भाई बोला कि हम तो व्यर्थ ही झगड़ रहे हैं। क्यों न हम इस लड़की से ही पूछ लें? यह हम दोनों में से जिसे पसन्द करेगी, वही इस लड़की से विवाह कर लेगा।

इस प्रकार आपस में निर्णय करके, दोनों भाई उस लड़की के पास पहुँचे। बड़े भाई ने उस लड़की से प्रश्न किया, “हे सुन्दरी, आप कौन हो, और यहाँ क्या कर रही हो?” वह लड़की बोली, “मैं पास ही एक गाँव में रहती हूँ और अपने पति की तलाश में निकली हूँ। छोटा भाई बोला, “तुम्हारा पति कहाँ है? तुम चाहो तो उसे ढूँढने में हम तुम्हारी सहायता कर सकते हैं।”

तब वह लड़की बोली, “अभी तो मैं कँवारी हूँ और किसी योग्य वर की तलाश में निकली हूँ।” तब छोटा भाई बोला, “हम दोनों भाई भी अभी कुंवारे हैं। यदि तुम चाहो तो हम में से किसी एक से विवाह कर सकती हो।”

लड़की बोली, “मैं तुम दोनों में से एक से विवाह कर लूँगी, परन्तु मेरी एक शर्त है! दोनो भाई बोले, “क्या शर्त है तुम्हारी?

लड़की बोली, “तुम दोनों में से जो भी अधिक बहादुर होगा, मैं उसी से विवाह करूँगी।” इतना सुनते ही दोनों भाई, स्वयं को एक दूसरे से श्रेष्ठ सिद्ध करने की इच्छा रखते हुए आपस में युद्ध करने लगे।

लड़ते-लड़ते दोनों भाईयों ने तलवारें निकाली और एक-दूसरे के पेट में आर-पार कर दी। इस प्रकार तड़प-तड़प कर दोनों भाईयों ने अपने प्राण त्याग दिए। तब वह लड़की जोर से हँसी और उठ कर एक दिशा की ओर चल पड़ी।

यह लड़की (छलावा) अब क्या करेगी? ऐसा सोचते हुए राजा विक्रमादित्य भी थोड़ी-थोड़ी दूरी रखते हुए उस लड़की के पीछे-पीछे चलने लगे....।

क्रमशः

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सरिता जैन

सेवानिवृत्त हिन्दी प्राध्यापिका

हिसार

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