एक पहेली (भाग - 5)

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एक पहेली (भाग - 5)

Image by Couleur from Pixabay

दोस्तों! सम्राट विक्रमादित्य से सम्बंधित कहानी का पाँचवा भाग अब मैं आप सभी के सम्मुख प्रस्तुत करने जा रहा हूँ....।

पिछली कड़ी में आपने पढ़ा था कि सम्राट विक्रमादित्य वृद्ध ब्राह्मण बने उस रहस्यमयी (बला) छलावे से पूछ रहे हैं कि वह कौन है....।

अब आगे....

“अब आपने वृद्ध ब्राह्मण का रूप धारण किया हुआ है। अब सीधी तरह से सच-सच बता दो, आप कौन हो?

वह बोला, “यदि न बताऊँ तो?

यह सुन कर राजा ने अपनी तलवार निकाल ली और बोले, “तो फिर मरने के लिए तैयार हो जाओ। तुम जानते नहीं, यह राजा विक्रमादित्य की नगरी है और मैं राजा का वफादार नौकर हूँ। इस धर्मात्मा राजा की नगरी में, इतने लोगों की जान लेकर तुम जीवित बच कर नहीं जा सकते। अब मरने से पहले जल्दी से ये बता दो कि तुम कौन हो?

राजा विक्रमादित्य की यह धमकी सुनकर, वह वृद्ध ब्राह्मण जोर-जोर से खिलखिलाकर हँस पड़ा और बोला, “मैं जानता हूँ कि यह महाप्रतापी सम्राट विक्रमादित्य की राजधानी है और मैं यह भी जानता हूँ कि तुम ही विश्वप्रसिद्ध सम्राट् विक्रमादित्य हो। फिर भी एक बात जान लो कि तुम मुझे नहीं मार सकते, बल्कि एक दिन ऐसा आएगा कि मैं ही तुम्हें मरने के लिए विवश कर दूँगा।”

उसके यह बोल सुनकर राजा विक्रमादित्य सोचने लगे कि जिसने इस वेष में भी मुझे पहचान लिया, वह कोई छोटी-मोटी हस्ती तो हो नहीं सकती? तो राजा थोड़े विनम्र होकर बोले, “अब आपने मुझे पहचान ही लिया है, तो कृपया आप बताएँ कि आप वास्तव में कौन हो?

तब वह ब्राह्मण बोला, “किसी ने सत्य ही कहा है कि संसार में चार प्रकार के हठ प्रसिद्ध हैं। राजहठ, बालहठ, त्रियाहठ और योगहठ।

तुम राजा हो, राजहठ पर अड़े हो, बिना मेरी सच्चाई जाने तुम मानोगे नहीं, इसलिए मुझे बताना ही पड़ेगा कि मैं कौन हूँ।

अतः राजन्! अब ध्यान लगाकर सुनो कि मैं कौन हूँ और तुम्हारी राजधानी में क्यों आया हूँ।” तब उस वृद्ध ब्राह्मण ने बताना शुरू किया....।

क्रमशः

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सरिता जैन

सेवानिवृत्त हिन्दी प्राध्यापिका

हिसार

🙏🙏🙏


विनम्र निवेदन

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धन्यवाद।

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