पत्नी का भूत

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पत्नी का भूत

Image by Jill Wellington from Pixabay

एक आदमी की पत्नी अचानक बहुत बीमार पड़ गयी। मरने से पहले उसने अपने पति से कहा, “मैं तुम्हें बहुत प्यार करती हूँ। तुम्हें छोड़ कर नहीं जाना चाहती। मैं नहीं चाहती कि मेरे जाने के बाद तुम मुझे भुला दो और किसी दूसरी औरत से शादी करो। वादा करो कि मेरे मरने के बाद तुम किसी और से प्रेम नहीं करोगे, वरना मेरी आत्मा तुम्हें चैन से जीने नहीं देगी”, और इतना कह कर वह चल बसी।

उसके जाने के कुछ महीनों तक उस आदमी ने किसी दूसरी औरत की तरफ देखा तक नहीं, पर एक दिन उसकी मुलाक़ात एक ऐसी लड़की से हुई जिसे वह चाहने लगा। बात बढ़ते-बढ़ते शादी तक आ गयी और उनकी शादी हो गयी।

शादी के ठीक बाद आदमी को लगा कि कोई उससे कुछ कह रहा है। मुड़ कर देखा तो वह उसकी पहली पत्नी की आत्मा थी।

आत्मा बोली, “तुमने अपना वादा तोड़ा है, अब मैं हर रोज़ तुम्हें परेशान करने आऊंगी।”

और इतना कह कर वह गायब हो गयी।

आदमी घबरा गया, उसे रात भर नींद नहीं आई।

अगले दिन भी रात को उसे वही आवाज़ सुनाई दी।

“मैं तुम्हे चैन से नहीं जीने दूंगी। मैं जानती हूँ कि आज तुमने अपनी नयी पत्नी से क्या-क्या बातें की....” और उसने आदमी को अक्षरशः एक-एक बात बता दी।

आदमी डर कर कांपने लगा। अगले दिन वह शहर से बहुत दूर एक मास्टर के पास गया और सारी बात बता दी।

मास्टर बोले, “यह प्रेत बहुत चालाक है!”

“बिलकुल है, तभी तो मेरी एक-एक बात उसे पता होती है”, आदमी घबराते हुए बोला।

मास्टर बोले, “कोई बात नहीं। मेरे पास इसका भी इलाज़ है। इस बार जब तुम्हारी पत्नी का भूत आये तो मैं जैसा कहता हूँ, तुम ठीक वैसा ही करना।”

उस रात जब आत्मा वापस आई तो आदमी बोला, “तुम इतनी चालाक हो, मैं तुमसे कुछ भी नहीं छिपा सकता और जैसा कि तुम चाहती हो, मैं अपनी पत्नी को छोड़ने के लिए भी तैयार हूँ, पर उसके लिए तुम्हें एक प्रश्न का उत्तर देना होगा और अगर तुम उत्तर न दे पायी तो तुम्हें हमेशा-हमेशा के लिए मेरा पीछा छोड़ना होगा।”

पत्नी का भूत बोला, “मंजूर है। पूछो अपना प्रश्न!”

आदमी ने फ़ौरन ज़मीन पर पड़े बहुत सारे छोटे-छोटे कंकड़ अपनी मुट्ठी में भर लिए और बोला, “बताओ मेरी मुट्ठी में कितने कंकड़ हैं?

और ठीक उसी समय भूत गायब हो गया।

कुछ हफ़्तों बाद वह एक बार फिर से मास्टर के पास उनका शुक्रिया अदा करने पहुंचा।

“मास्टर, उस भूत से मेरा पीछा छुड़ाने के लिए मैं जीवन भर आपका आभारी रहूँगा”, आदमी बोला, “पर मैं ये नहीं समझ पाया कि आखिर उस प्रश्न में ऐसा क्या था कि एक झटके में ही भूत गायब हो गया?

मास्टर बोले, “बेटा! दरअसल कोई भूत था ही नहीं!”

“मतलब!”, आदमी आश्चर्य से बोला।

“हाँ, कोई भूत था ही नहीं। दरअसल दूसरी शादी करने की वज़ह से तुम्हें एक अपराधबोध महसूस हो रहा था और उसी वजह से तुम्हारा दिमाग एक भ्रम की स्थिति पैदा कर तुम्हें भूत का अनुभव करा रहा था”, मास्टर ने समझाया।

“पर ऐसा था तो वह मेरी हर एक बात कैसे जान जाता था?”, आदमी ने पूछा।

मास्टर मुस्कुराये, “क्योंकि वह तुम्हारा बनाया हुआ ही भूत था, इसलिए जो कुछ तुम जानते थे वही वह भी जानता था और यही कारण था कि मैंने तुम्हें वो कंकड़ वाला प्रश्न पूछने को कहा, क्योंकि मैं जानता था कि इसका उत्तर तुम्हें भी नहीं पता होगा और इसलिए भूत भी इसका उत्तर नहीं दे पायेगा और तुम्हें तुम्हारे दिमाग की ही उपज से छुटकारा मिल जायेगा।”

आदमी अब पूरी बात समझ चुका था। उसने एक बार फिर मास्टर को धन्यवाद किया और अपने घर लौट गया।

दोस्तों! कई बार हमारे मन में भी किसी पुरानी बात को लेकर एक गलती का अहसास रह जाता है। कहानी में भूत का आना उसी तरह की फीलिंग का एक एक्सट्रीम फॉर्म है। पर अधिकतर मामलों में हम किसी पुरानी घटना को याद करके अफ़सोस करते हैं और कभी-कभार खुद पर क्रोधित भी हो जाते हैं। ऐसा बार-बार करना गलत है। अपने भूत की वजह से अपने भविष्य और वर्तमान को बिगाड़ने में कोई समझदारी नहीं है। इसलिए अगर आप भी किसी पुरानी घटना की वजह से अपराधबोध महसूस करते हैं तो ऐसा न करें। गलतियां करना मनुष्य का स्वभाव है, सभी करते हैं, आपसे भी हुई तो कोई बात नहीं। उस घटना को पीछे छोड़ें और अपने जीवन को सार्थक बनाने की दिशा में काम करें....!!

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सरिता जैन

सेवानिवृत्त हिन्दी प्राध्यापिका

हिसार

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विनम्र निवेदन

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धन्यवाद।

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