सोच बदलो, जिंदगी बदल जायेगी
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सोच बदलो, जिंदगी बदल जायेगी
Image by Goran Horvat from Pixabay
एक गाँव में सूखा पड़ने की वजह से गाँव के सभी लोग बहुत परेशान थे। उनकी फसलें ख़राब हो रही थी। बच्चे भूखे-प्यासे मर रहे थे और उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि इस समस्या का समाधान कैसे निकाला जाये? उसी गाँव में एक विद्वान महात्मा रहते थे। गाँव वालों ने उनके पास जाकर इस समस्या का समाधान माँगने का निर्णय लिया। सब लोग महात्मा के पास गये और उन्हें अपनी सारी परेशानी विस्तार से बतायी। महात्मा ने कहा कि आप सब मुझे एक हफ्ते का समय दीजिये। मैं आपको कुछ समाधान ढूंढ कर बताता हूँ।
गाँव वालों ने कहा ठीक है और महात्मा के पास से चले गये। एक हफ्ते का समय बीत गया लेकिन साधु महात्मा कोई भी हल ढूँढ न सके और उन्होंने गाँव वालों से कहा कि अब तो आप सबकी मदद केवल ऊपर बैठा वह भगवान ही कर सकता है। अब सब भगवान की पूजा करने लगे, भगवान को खुश करने के लिये। भगवान ने उन सबकी सुन ली और उन्होंने गाँव में अपना एक दूत भेजा।
गाँव में पहुँचकर दूत ने सभी गाँव वालों से कहा कि आज रात को अगर तुम सब एक-एक लोटा दूध गाँव के पास वाले उस कुँए में बिना देखे डालोगे तो कल से तुम्हारे गाँव में घनघोर बारिश होगी और तुम्हारी सारी परेशानी दूर हो जायेगी। इतना कहकर वह दूत वहां से चला गया।
गाँव वाले बहुत खुश हुए और सब लोग उस कुँए में दूध डालने के लिये तैयार हो गये। लेकिन उसी गाँव में एक कंजूस इंसान रहता था। उसने सोचा कि सब लोग तो दूध डालेंगे ही, अगर मैं दूध की जगह एक लोटा पानी डाल देता हूँ, तो किसको पता चलने वाला है! रात को कुँए में दूध डालने के बाद सारे गाँव वाले सुबह उठकर बारिश के होने का इंतज़ार करने लगे लेकिन मौसम वैसा का वैसा ही दिख रहा था और बारिश के होने की थोड़ी भी संभावना नहीं दिख रही थी।
देर तक बारिश का इंतज़ार करने के बाद सब लोग उस कुँए के पास गये और जब उस कुँए में देखा तो कुँआ पानी से भरा हुआ था और उस कुँए में दूध की एक बूंद भी नहीं थी। सब लोग एक दूसरे की तरफ देखने लगे और समझ गये कि बारिश अभी तक क्यों नहीं हुई?
और वह इसलिये क्योंकि उस कंजूस व्यक्ति की तरह सारे गाँव वालों ने भी यही सोचा था कि सब लोग तो दूध डालेंगे ही, मेरे एक लोटा पानी डाल देने से क्या फर्क पड़ने वाला है और इसी चक्कर में किसी ने भी कुँए में दूध की एक बूँद भी नहीं डाली और कुँए को पानी से भर दिया।
शिक्षा - इसी तरह की ग़लती आजकल हम अपनी Real Life में भी करते हैं। हम सब सोचते हैं कि हमारे एक के कुछ करने से क्या होने वाला है? लेकिन हम ये भूल जाते हैं कि “बूंद-बूंद से सागर बनता है।” अगर आप अपने देश, समाज, घर में कुछ बदलाव लाना चाहते हैं; कुछ बेहतर करना चाहते हैं तो खुद को बदलिये और बेहतर बनाइए। बाकी सब अपने आप ही बदल जायेगा।
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सरिता जैन
सेवानिवृत्त हिन्दी प्राध्यापिका
हिसार
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धन्यवाद।
शिक्षा प्रद।धन्यवाद आपको इस कहानियों के लिए।
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