भलाई
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भलाई
Image by robert102 from Pixabay
एक घर में दो भाई रहते थे। छोटी उम्र में ही उनके माता और पिता की मृत्यु हो गई थी। इस भारी विपत्ति को सहते हुए वे अपने खेतों में बहुत मेहनत से काम करते थे। कुछ वर्षों के बाद बड़े भाई की शादी हो गई और फिर दो बच्चों के साथ उसका चार लोगों का परिवार हो गया। चूँकि दूसरे भाई की अभी शादी नहीं हुई थी, फिर भी उपज को दो हिस्सों में बांट दिया जाता था।
एक दिन जब छोटा वाला भाई खेत में काम कर रहा था तो उसे विचार आया कि यह सही नहीं है कि हम बराबर बँटवारा करें। मैं अकेला हूँ और मेरी ज़रूरत भी बहुत अधिक नहीं है। मेरे भाई का परिवार बड़ा है एवं उसकी ज़रूरतें भी अधिक हैं। अपने दिमाग में इसी विचार के साथ वह रात को अपने यहाँ से अनाज का एक बोरा ले जाकर भाई के खेत में चुपचाप रखने लगा। इसी दौरान बड़े भाई ने भी सोचा कि यह सही नहीं है कि हम हर चीज का बराबर बँटवारा करें। मेरे पास मेरा ध्यान रखने के लिए पत्नी और बच्चे हैं, लेकिन मेरे भाई का तो कोई परिवार नहीं है। अतः भविष्य में उसकी कौन देखभाल करेगा? इसलिए मुझे उसके भविष्य के लिए उसे अधिक देना चाहिए।
इस विचार के साथ वह हर दिन एक अनाज का बोरा लेता और अपने भाई के खेत में रख देता। यह सिलसिला बहुत दिनों तक चलता रहा। किन्तु दोनों भाई हैरान थे कि उनका अनाज कम क्यों नहीं हो रहा? एक दिन एक-दूसरे के खेतों में जाते समय उनकी मुलाकात हो गई। तब उन्हें पता चला कि आख़िर इतने समय से क्या हो रहा था? वे ख़़ुशी से एक-दूसरे के गले लगकर रोने लगे।
शिक्षा - सच्चे मन से किये गये भलाई के काम में कभी अपना नुकसान नहीं होता।
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सरिता जैन
सेवानिवृत्त हिन्दी प्राध्यापिका
हिसार
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