एक बालक की सहज पूजा
👼👼💧💧👼💧💧👼👼 एक बालक की सहज पूजा Image by Humpelfinkel from Pixabay एक बच्चे के दादा जी शाम को घूमकर आने के बाद बच्चे के साथ प्रतिदिन सांयकालीन पूजा करते थे। बच्चा भी उनकी इस पूजा को देखकर अंदर से स्वयं इस अनुष्ठान को पूर्ण करने की इच्छा रखता था, किन्तु दादा जी की उपस्थिति उसे अवसर नहीं देती थी। एक दिन दादा जी को शाम को आने में विलंब हुआ। इस अवसर का लाभ लेते हुए बच्चे ने समय पर पूजा प्रारम्भ कर दी। जब दादा जी आये, तो दीवार के पीछे से बच्चे की पूजा देख रहे थे। बच्चा बहुत सारी अगरबत्ती एवं अन्य सभी सामग्री का अनुष्ठान में यथाविधि प्रयोग करता है और फिर अपनी प्रार्थना में कहता है कि - भगवान जी! प्रणाम। आप मेरे दादा जी को स्वस्थ रखना और दादी के घुटनों के दर्द को ठीक कर देना, क्योंकि दादा और दादी को कुछ हो गया, तो मुझे चॉकलेट कौन देगा? फिर आगे कहता है कि भगवान जी! मेरे सभी दोस्तों को अच्छा रखना, वरना मेरे साथ कौन खेलेगा? मेरे पापा और मम्मी को ठीक रखना। घर के कुत्ते को भी ठीक रखना क्योंकि उसे कुछ हो गया तो घर को चोरों से कौन बचाएगा? लेकिन भगवान जी! यदि आप बुरा न मानो तो एक बात कहूँ! ...