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Showing posts from December, 2023

एक बालक की सहज पूजा

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 एक बालक की सहज पूजा Image by Humpelfinkel from Pixabay एक बच्चे के दादा जी शाम को घूमकर आने के बाद बच्चे के साथ प्रतिदिन सांयकालीन पूजा करते थे। बच्चा भी उनकी इस पूजा को देखकर अंदर से स्वयं इस अनुष्ठान को पूर्ण करने की इच्छा रखता था, किन्तु दादा जी की उपस्थिति उसे अवसर नहीं देती थी। एक दिन दादा जी को शाम को आने में विलंब हुआ। इस अवसर का लाभ लेते हुए बच्चे ने समय पर पूजा प्रारम्भ कर दी। जब दादा जी आये, तो दीवार के पीछे से बच्चे की पूजा देख रहे थे। बच्चा बहुत सारी अगरबत्ती एवं अन्य सभी सामग्री का अनुष्ठान में यथाविधि प्रयोग करता है और फिर अपनी प्रार्थना में कहता है कि - भगवान जी! प्रणाम। आप मेरे दादा जी को स्वस्थ रखना और दादी के घुटनों के दर्द को ठीक कर देना, क्योंकि दादा और दादी को कुछ हो गया, तो मुझे चॉकलेट कौन देगा? फिर आगे कहता है कि भगवान जी! मेरे सभी दोस्तों को अच्छा रखना, वरना मेरे साथ कौन खेलेगा? मेरे पापा और मम्मी को ठीक रखना। घर के कुत्ते को भी ठीक रखना क्योंकि उसे कुछ हो गया तो घर को चोरों से कौन बचाएगा? लेकिन भगवान जी! यदि आप बुरा न मानो तो एक बात कहूँ! ...

चमत्कारी डण्डा

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 चमत्कारी डण्डा Image by robert102 from Pixabay कभी-कभी कमियाँ देखने वाला डण्डा अपनी ओर भी कर लेना चाहिए। एक महात्मा बहुत ज्ञानी थे। वे अपनी ही साधना में लीन रहते थे। एक बार एक लड़का उनके पास आया। उसने उनसे अपना चेला बना लेने की पुरजोर प्रार्थना की। महात्मा जी ने सोचा - बुढ़ापा आ रहा है। एक चेला पास में होगा, तो सहारा बनेगा। यह सोचकर उन्होंने उसे चेला बना लिया। चेला बहुत चंचल प्रकृति का था। ज्ञान-ध्यान में उसका मन नहीं लगता था। दिन-भर आने-जाने वालों से बातें करने और मस्ती करने में उसका समय व्यतीत होता। गुरु ने कई बार उसे समझाने की चेष्टा की, पर सफलता नहीं मिली। एक दिन चेला महात्मा जी से बोला - गुरुदेव! मुझे कोई चमत्कार सिखा दें। गुरु ने कहा - वत्स! चमत्कार कोई काम की वस्तु नहीं है। उससे एक बार भले ही व्यक्ति प्रसिद्धि पा ले, लेकिन अंततोगत्वा उसका परिणाम अच्छा नहीं होता। पर चेला अपनी बात पर अड़ा रहा। बालहठ के सामने गुरु जी को झुकना पड़ा। उन्होंने अपने झोले में से एक पारदर्शी डण्डा निकाला और चेले के हाथ में उसे थमाते हुए कहा - यह लो चमत्कार। इस डंडे को तुम जिस किसी के सी...

महात्मा और धोबी

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 महात्मा और धोबी Image by Stefan Schweihofer from Pixabay एक नदी तट पर स्थित बड़ी सी शिला पर एक महात्मा बैठे हुए थे। वहाँ एक धोबी आता है। किनारे पर वही मात्र शिला थी, जहाँ वह रोज कपड़े धोता था। उसने शिला पर महात्मा जी को बैठे देखा तो सोचा - अभी उठ जाएंगे, थोड़ा इन्तजार कर लेता हूँ, अपना काम बाद में कर लूंगा। एक घंटा हुआ, दो घंटे हुए फिर भी महात्मा उठे नहीं। अंत में धोबी ने हाथ जोड़कर विनयपूर्वक निवेदन किया कि महात्मन्! यह मेरे कपड़े धोने का स्थान है। आप कहीं अन्यत्र विराजें तो मैं अपना कार्य निपटा लूं। महात्मा जी वहाँ से उठकर थोड़ी दूर जाकर बैठ गए। धोबी ने कपड़े धोने शुरू किए। पछाड़-पछाड़ कर कपड़े धोने की क्रिया में कुछ छींटे उछल कर महात्मा जी पर गिरने लगे। महात्मा जी को क्रोध आया। वे धोबी को गालियाँ देने लगे। उससे भी शान्ति न मिली तो पास रखा धोबी का डण्डा उठाकर उसे ही मारने लगे। सांप ऊपर से कोमल मुलायम दिखता है, किन्तु पूंछ दबने पर ही असलियत की पहचान होती है। महात्मा को क्रोधित देख धोबी ने सोचा - अवश्य ही मुझ से कोई अपराध हुआ है। अतः वह हाथ जोड़ कर महात्मा से माफी मांगने लगा...

ऑनलाइन शॉपिंग

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 ऑनलाइन शॉपिंग Image by Leopictures from Pixabay एक बार मैं अपने अंकल के साथ एक बैंक में गया, क्योंकि उन्हें कुछ पैसा कहीं ट्रान्सफ़र करना था। यह स्टेट बैंक एक छोटे-से कस्बे के छोटे से इलाक़े में था। वहाँ एक घंटा बिताने के बाद जब हम वहाँ से निकले तो उन्हें पूछने से मैं अपने आप को रोक नहीं पाया। ‘अंकल! क्यों न हम घर पर ही इंटरनेट बैंकिंग चालू कर लें?’ अंकल ने कहा - ‘ऐसा मैं क्यों करूँ?’ तो मैंने कहा कि अब छोटे-छोटे कैश ट्रांसफर के लिए बैंक आने की और एक घंटा टाइम ख़राब करने की ज़रूरत नहीं और आप जब चाहें तब घर बैठे अपनी ऑनलाइन शॉपिंग भी कर सकते हैं। हर चीज़ बहुत आसान हो जाएगी। मैं बहुत उत्सुक था उन्हें नेट बैंकिंग की दुनिया के बारे में विस्तार से बताने के लिए। इस पर उन्होंने पूछा - ‘अगर मैं ऐसा करता हूँ तो क्या मुझे घर से बाहर निकलने की ज़रूरत ही नहीं पड़ेगी? मुझे बैंक जाने की भी ज़रूरत नहीं?’ मैंने उत्सुकतावश कहा - ‘हाँ! आपको कहीं जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी और आपको किराने का सामान भी घर बैठे ही डिलिवर हो जाएगा। अमेज़न, फ़्लिपकॉर्ट व स्नैपडील सब सामान घर पर ही डिलिवर करते हैं। उ...

मुट्ठी खोलो बंधन मुक्त हो जाओ

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 मुट्ठी खोलो बंधन मुक्त हो जाओ Image by 👀 Mabel Amber, who will one day from Pixabay एक बार एक संत अपनी कुटिया में शांत बैठे थे, तभी उन्हें कुछ शोर सुनाई दिया। जा कर देखा तो एक बंदर ज़ोर-ज़ोर से चिल्ला रहा था। उसका एक हाथ घड़े के अंदर था और वह बंदर अपना हाथ छुड़ाने के लिए चिल्ला रहा था। संत को देख वह बंदर संत से आग्रह करने लगा - महाराज! कृपा कर के मुझे इस बंधन से मुक्त करवा दो। संत ने बंदर को कहा - तुमने घड़े के अंदर हाथ डाला, तो वह आसानी से उसमें चला गया, परन्तु अब इसलिए बाहर नहीं निकल रहा है क्योंकि तुमने अपने हाथ में लड्डू पकड़ा हुआ है जो उस घड़े के अंदर था। अगर तुम वह लड्डू हाथ से छोड़ दो, तो तुम आसानी से मुक्त हो सकते हो। बंदर ने कहा - महाराज! लड्डू तो मैं नहीं छोड़ने वाला, अब आप मुझे बिना लड्डू छोड़े ही मुक्त होने की कोई युक्ति सुझाइए। संत मुस्कुराए और कहा - या तो लड्डू छोड़ दो, अन्यथा तुम कभी भी मुक्त नहीं हो सकते। हज़ार कोशिशों के बाद बंदर को इस बात का एहसास हुआ कि बिना लड्डू छोड़े मेरा हाथ इस घड़े से बाहर नहीं निकल सकता और मैं मुक्त नहीं हो सकता। आख़िरकार बंदर ने वो लड...

अठावन घड़ी कर्म की और दो घड़ी धर्म की

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 अठावन घड़ी कर्म की और दो घड़ी धर्म की Image by Marjon Besteman from Pixabay एक नगर में एक धनवान सेठ रहता था। अपने व्यापार के सिलसिले में उसका बाहर आना-जाना लगा रहता था। एक बार वह परदेस से लौट रहा था। साथ में बहुत सारा धन था, इसलिए उसने तीन-चार पहरेदार भी साथ ले लिए। लेकिन जब वह अपने नगर के नजदीक पहुँचा, तो सोचा कि अब क्या डर। इन पहरेदारों को यदि घर ले जाऊंगा तो भोजन कराना पड़ेगा। अच्छा होगा, यहीं से विदा कर दूँ। उसने पहरेदारों को वापस भेज दिया। दुर्भाग्य देखिए कि वह कुछ ही कदम आगे बढ़ा था कि अचानक डाकुओं ने उसे घेर लिया। डाकुओं को देखकर सेठ का कलेजा हाथ में आ गया। सोचने लगा, ऐसा अंदेशा होता तो पहरेदारों को क्यों छोड़ता? आज तो बिना मौत मरना पड़ेगा। डाकू, सेठ से उसका धन आदि छीनने लगे। तभी उन डाकुओं में से दो को सेठ ने पहचान लिया। वे दोनों कभी सेठ की दुकान पर काम कर चुके थे। उनका नाम लेकर सेठ बोला, अरे। तुम रामू-दामू हो न! अपना नाम सुन कर उन दोनों ने भी सेठ को ध्यानपूर्वक देखा। उन्होंने भी सेठ को पहचान लिया। उन्हें लगा, इनके यहाँ पहले नौकरी की थी, इनका नमक खाया है। इनको लू...

कॉन्टैक्ट लेंस

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 कॉन्टैक्ट लेंस Image by Ralph from Pixabay एक सच्ची कहानी। विशाल ग्रेनाइट चट्टान की शीर्ष चोटी से ब्रेंडा लगभग आधे रास्ते पर थी। अपने इस पहले पर्वतारोहण प्रयास के दौरान वह एक कगार पर खड़ी होकर सांस ले रही थी। जब वह वहाँ आराम कर रही थी, तो सुरक्षा रस्सी उसकी आँख से टकरा गई और उसकी आँखों में लगा कॉन्टैक्ट लेंस बाहर गिर गया। “यह क्या?’’, उसने सोचा, “यहाँ मैं एक चट्टान के कगार पर हूँ, जमीन से सैंकड़ों फीट ऊपर और अब मुझे सब कुछ धुंधला दिखाई दे रहा है।” उसने बार-बार इस उम्मीद में चारों ओर देखा कि किसी तरह वह पहाड़ की चोटी तक पहुँच जाए, लेकिन उसे कोई रास्ता नहीं दिखा। उसने महसूस किया कि उसके अंदर घबराहट बढ़ रही है, इसलिए उसने प्रार्थना करना शुरू कर दिया। उसने आंतरिक शांति के लिए प्रार्थना की और उसने प्रार्थना की कि उसे उसका कॉन्टैक्ट लेंस मिल जाए। जैसे-तैसे करके जब वह शीर्ष चोटी पर पहुँच गई, तो एक दोस्त ने लेंस के लिए उसकी आँख और उसके कपड़ों की अच्छे से जाँच की, लेकिन वह नहीं मिला। हालांकि वह अब शांत थी क्योंकि वह शीर्ष पर पहुँच चुकी थी, पर वह दुःखी भी थी क्योंकि वह पहाड़ों के...