सुखी रहने का तरीका

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सुखी रहने का तरीका

Image by Bruno from Pixabay

एक संत अपने आश्रम में बैठे थे। तभी उनका एक शिष्य जो स्वभाव से थोड़ा क्रोधी था उनके समक्ष आया और बोला - गुरुजी! आप अपना व्यवहार इतना मधुर कैसे बनाये रहते हैं? न आप किसी पर क्रोध करते हैं और न ही किसी को कुछ भला-बुरा कहते हैं। कृपया अपने इस अच्छे व्यवहार का रहस्य बताइए?

संत बोले - मुझे अपने रहस्य के बारे में तो नहीं पता, लेकिन मैं तुम्हारा एक रहस्य जानता हूँ।

‘मेरा रहस्य! वह क्या है गुरुजी?’, शिष्य ने आश्चर्य से पूछा।

‘तुम अगले एक हफ्ते में मरने वाले हो’, संत दुःखी होते हुए बोले।

कोई और कहता तो शिष्य ये बात मजाक में टाल सकता था, लेकिन स्वयं संत के मुख से निकली बात को कोई कैसे काट सकता था। शिष्य उदास हो गया और गुरु का आशीर्वाद लेकर वहाँ से चला गया।

उस समय से शिष्य का स्वभाव अचानक बदल सा गया। वह हर किसी से प्रेम से मिलता और कभी किसी पर क्रोध नहीं करता। अपना ज्यादातर समय ध्यान और पूजा में लगाता। वह उनके पास भी जाता, जिनसे उसने कभी गलत व्यवहार किया था और उनसे माफ़ी मांगता।

देखते-देखते संत की भविष्यवाणी को एक हफ्ता पूरा होने को आया।

शिष्य ने सोचा कि चलो एक आखिरी बार गुरु के दर्शन कर आशीर्वाद ले लेते हैं। वह उनके समक्ष पहुँचा और बोला - गुरुजी! मेरा समय पूरा होने वाला है। कृपया मुझे आशीर्वाद दीजिये।

संत ने कहा - मेरा आशीर्वाद हमेशा तुम्हारे साथ है, पुत्र!

‘अच्छा! ये बताओ कि पिछले सात दिन कैसे बीते? क्या तुम पहले की तरह ही लोगों से नाराज हुए, उन्हें अपशब्द कहे?’, संत ने प्रश्न किया।

शिष्य तत्परता से बोला - नहीं-नहीं, बिल्कुल नहीं। मेरे पास जीने के लिए सिर्फ सात दिन थे। मैं इन्हें बेकार की बातों में कैसे गंवा सकता था?

मैं तो सबसे प्रेम से मिला, और जिन लोगों का कभी दिल दुखाया था, उनसे क्षमा भी मांगी।

संत मुस्कुराए और बोले, बस, यही तो है मेरे अच्छे व्यवहार का रहस्य!

मैं जानता हूँ कि मैं कभी भी मर सकता हूँ, इसलिये मैं हर किसी से प्रेमपूर्ण व्यवहार करता हूँ और यही है मेरी मधुरता का रहस्य।

शिष्य समझ गया कि संत ने उसे जीवन का यह पाठ पढ़ाने के लिए ही मृत्यु का भय दिखाया था।

वास्तव में हमारे पास भी सात दिन ही बचे हैं -

रवि, सोम, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र और शनि; आठवाँ दिन तो बना ही नहीं।

आइए! आज से ही परिवर्तन आरम्भ करें।

--

सरिता जैन

सेवानिवृत्त हिन्दी प्राध्यापिका

हिसार

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