ईश्वर पर विश्वास

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ईश्वर पर विश्वास

Image by armennano from Pixabay

एक दिन एक महिला को किसी धार्मिक स्थल से सेवा का हुक्म आया। महिला सेवा में चली गयी।

थोड़ी देर बाद महिला को फोन आया कि उसके बेटे का ऐक्सिडेंट हो गया है।

वह महिला भगवान जी से आज्ञा लेकर हॉस्पिटल पहुंची। महिला ने भगवान से प्रार्थना की और अपने बेटे की संभाल में लगी रही।

महिला की पड़ोसिन जो उनकी दोस्त भी थी, बोली - बहिन! तेरे भगवान जी कैसे हैं? तू दिन-रात सेवा में लगी रहती है और उन्होंने तेरे साथ क्या किया? तेरे बेटे का ऐक्सिडेंट हो गया।

वह महिला बोली - मुझे तो अपने भगवान जी पर पूरा भरोसा है। वह जो करते हैं, बिल्कुल सही करते हैं। इसमें भी कोई राज की बात होगी। मेरे भगवान जी किसी का बुरा नहीं करते, जो होता है अच्छा ही होता है।

कुछ दिनों बाद बच्चा ठीक हो गया। महिला फिर से भगवान की सेवा में लग गयी।

फिर कुछ दिन बाद पता चला कि बेटे का फिर ऐक्सिडेंट हो गया है।

अब पड़ोसन फिर कहने लगी - बहिन! तुझे तेरे भगवान जी ने क्या दिया?

तो महिला बोली - कुछ घटनाएँ हमारी परीक्षा के लिए भी होती हैं। ज़रूर मेरे भगवान जी मुझे कुछ समझाना चाहते हैं। मैं अपने निश्चय से नहीं डोलूंगी।

महिला भक्ति करती रही, भगवान जी के सामने विनती करती रही। धीरे-धीरे बेटा फिर ठीक हो गया, परन्तु अभी तो परीक्षा बाकी थी।

अब बेटे का तीसरी बार फिर ऐक्सिडेंट हो गया, तो पड़ोसन बोली - बहिन! तू नहीं मानेगी। तू मुझे अपने बेटे की कुंडली दे। मैं अपने महाराज को दिखाऊँगी।

महिला बोली - ठीक है, तू भी अपने मन की तसल्ली कर ले, लेकिन मेरा विश्वास नहीं डोलेगा। मेरे भगवान जी सब ठीक कर देंगे।

अब पड़ोसिन कुंडली लेकर अपने महाराज जी के पास गयी और बोली - महाराज! इस बच्चे का बार-बार ऐक्सिडेंट हो जाता है। कुछ उपाय बताइए।

महाराज बोले - ये क्या ले आयी, बहिन! जिस किसी की भी ये कुंडली है, वह तो कई साल पहले मर चुका है।

तो बहिन बोली - नहीं, महाराज! यह मेरी सहेली का बेटा है और अभी जिंदा है, पर उसे बार-बार चोट लग जाती है।

पंडित जी बोले - जो भी है, उसकी मृत्यु कई साल पहले हो जानी चाहिए थी। जरूर कोई शक्ति है, जो उसे बचा लेती है।

उस बहिन की आँखें भर आई। वह दौड़ी-दौड़ी उस महिला के पास आकर उसके चरणों में गिर गयी। बोली - बहिन! मुझे भी अपने भगवान जी के पास ले चल।

महिला के पूछने पर उसने सारी बात बताई और फिर बहिन ने भी भगवान जी की शरण ले ली और उनकी सेवा करने लगी।

कहने का भाव यह है कि हमारा विश्वास कभी नहीं डोलना चाहिए। भगवान जी हर पल हमारी रक्षा करते हैं।

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सरिता जैन

सेवानिवृत्त हिन्दी प्राध्यापिका

हिसार

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