कष्टों के कारण - बहुत सुन्दर कथा

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कष्टों के कारण - बहुत सुन्दर कथा

Image by 👀 Mabel Amber, who will one day from Pixabay

एक महिला रोज मंदिर जाती थी। एक दिन उस महिला ने पुजारी से कहा - अब मैं मंदिर नहीं आया करूँगी।

इस पर पुजारी ने पूछा - क्यों?

तब महिला बोली - मैं देखती हूँ कि लोग मंदिर परिसर में अपने फोन पर अपने व्यापार की बात करते रहते हैं। कुछ ने तो मंदिर को ही गपशप करने का स्थान बना रखा है। कुछ पूजा कम, पाखंड और दिखावा ज्यादा करते हैं।

इस पर पुजारी कुछ देर तक चुप रहे, फिर कहा - सही है। परंतु अपना अंतिम निर्णय लेने से पहले क्या आप मेरे कहने से कुछ कर सकती हैं?

महिला बोली - आप बताइए, क्या करना है?

पुजारी ने कहा - एक गिलास पानी भर लीजिए और 2 बार मंदिर परिसर के अंदर परिक्रमा लगाइए। शर्त ये है कि गिलास का पानी गिरना नहीं चाहिये।

महिला बोली - मैं ऐसा कर सकती हूँ।

फिर थोड़ी ही देर में उस महिला ने ऐसा ही कर दिखाया।

उसके बाद मंदिर के पुजारी ने महिला से 3 सवाल पूछे -

  1. क्या आपने किसी को फोन पर बात करते देखा?

  2. क्या आपने किसी को मंदिर में गपशप करते देखा?

  3. क्या किसी को पाखंड करते देखा?

महिला बोली - नहीं, मैंने कुछ भी नहीं देखा।

फिर पुजारी बोले - जब आप परिक्रमा लगा रही थी, तो आपका पूरा ध्यान गिलास पर था कि इसमें से पानी न गिर जाए, इसलिए आपको कुछ दिखाई नहीं दिया। अब जब भी आप मंदिर आयें तो अपना ध्यान सिर्फ़ परम पिता परमात्मा में ही लगाना। फिर आपको कोई दिखाई नहीं देगा, सिर्फ भगवान ही सर्वत्र दिखाई देंगे।

“जाकी रही भावना जैसी, प्रभु मूरत देखी तिन तैसी।’’

हमारे जीवन में दुःखों के लिए कौन जिम्मेदार है?

न भगवान, न गृह-नक्षत्र, न भाग्य, न रिश्तेदार, न पड़ोसी, न सरकार। उनके जिम्मेदार आप स्वयं हैं।

  1. आपका सरदर्द - फालतू विचार का परिणाम।

  2. पेट दर्द - गलत खाने का परिणाम।

  3. आपका कर्ज - ज़रूरत से ज्यादा खर्चे का परिणाम।

  4. आपका दुर्बल/मोटा/बीमार शरीर - गलत जीवन शैली का परिणाम।

  5. आपके कोर्ट केस - आप के अहंकार का परिणाम।

  6. आपके फालतू विवाद - ज्यादा और व्यर्थ बोलने का परिणाम।

उपरोक्त कारणों के अलावा हमारे कष्टों के सैकड़ों कारण और भी हैं और हम बेवजह दोषारोपण दूसरों पर करते रहते हैं। इसमें ईश्वर दोषी नहीं है।

अगर हम इन कष्टों के कारणों पर बारीकी से विचार करें तो पाएंगे कि कहीं न कहीं हमारी मूर्खताएं ही इनके पीछे कारण हैं। उनसे सावधान रहें।

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सरिता जैन

सेवानिवृत्त हिन्दी प्राध्यापिका

हिसार

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विनम्र निवेदन

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धन्यवाद।

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