शतरंज

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शतरंज

Image by 妍 余 from Pixabay

एक दिन, एक कंपनी में इंटरव्यू के दौरान बॉस, जिसका नाम रोहित था, ने सामने बैठी महिला पूजा से पूछा, “आप इस नौकरी के लिए कितनी तनख्वाह की उम्मीद करती हैं?”

पूजा ने बिना किसी झिझक के आत्मविश्वास से कहा, “कम से कम 90,000 रुपये।”

रोहित ने उसकी ओर देखा और आगे पूछा, “आपको किसी खेल में दिलचस्पी है?”

पूजा ने जवाब दिया, “जी, मुझे शतरंज खेलना बहुत पसंद है।”

रोहित ने मुस्कुराते हुए कहा, “शतरंज बहुत ही दिलचस्प खेल है। चलिए, इस बारे में बात करते हैं। आपको शतरंज का कौन सा मोहरा सबसे ज्यादा पसंद है? या आप किस मोहरे से सबसे अधिक प्रभावित होती हैं?”

पूजा ने मुस्कुराते हुए कहा, “वज़ीर।”

रोहित ने उत्सुकता से पूछा, “क्यों? जबकि मुझे लगता है कि घोड़े की चाल सबसे अनोखी होती है।”

पूजा ने गंभीरता से जवाब दिया, “वास्तव में घोड़े की चाल दिलचस्प होती है, लेकिन वज़ीर में वे सभी गुण होते हैं जो बाकी मोहरों में अलग-अलग रूप से पाए जाते हैं। वह सभी मोहरों की तरह कभी एक कदम बढ़ाकर राजा को बचाता है, तो कभी तिरछा चलकर हैरान करता है और कभी ढाल बनकर राजा की रक्षा करता है।”

रोहित ने उसकी समझ से प्रभावित होते हुए पूछा, “बहुत दिलचस्प! लेकिन राजा के बारे में आपकी क्या राय है?”

पूजा ने तुरंत जवाब दिया, “सर, मैं राजा को शतरंज के खेल में सबसे कमजोर मानती हूँ। वह खुद को बचाने के लिए केवल एक ही कदम उठा सकता है, जबकि वज़ीर उसकी हर दिशा से रक्षा कर सकता है।”

रोहित पूजा के जवाब से प्रभावित हुआ और बोला, “बहुत शानदार! बेहतरीन जवाब। अब ये बताइए कि आप खुद को इनमें से किस मोहरे की तरह मानती हैं?”

पूजा ने बिना किसी देर के जवाब दिया, “राजा।”

रोहित थोड़ी हैरानी में पड़ गया और बोला, “लेकिन आपने तो राजा को कमजोर और सीमित बताया है, जो हमेशा वज़ीर की मदद का इंतजार करता है। फिर आप क्यों खुद को राजा मानती हैं?”

पूजा ने हल्की मुस्कान के साथ कहा, “जी हाँ, मैं राजा हूँ और मेरा वज़ीर मेरा पति था। वह हमेशा मेरी रक्षा करता था और मुझसे बढ़कर मुझे प्यार करता था, हर मुश्किल में मेरा साथ देता था, लेकिन अब वह मुझे पूरी तरह से छोड़ चुका है।”

रोहित को यह सुनकर थोड़ा धक्का लगा और उसने गंभीरता से पूछा, “तो आप यह नौकरी क्यों करना चाहती हैं?”

पूजा की आवाज भर्राई, उसकी आँखें नम हो गई। उसने गहरी सांस लेते हुए कहा, “क्योंकि मेरा वज़ीर अब इस दुनिया में नहीं रहा। अब मुझे खुद वज़ीर बनकर अपने बच्चों और अपने जीवन की जिम्मेदारी उठानी है।”

यह सुनकर कमरे में एक गहरी खामोशी छा गई। रोहित ने तालियाँ बजाते हुए कहा, “बहुत बढ़िया, पूजा जी। आप एक सशक्त महिला हैं।”

यह कहानी उन सभी बेटियों के लिए एक प्रेरणा है, जो जिंदगी में किसी भी तरह की मुश्किलों का सामना कर सकती हैं। बेटियों को अच्छी शिक्षा और परवरिश देना बेहद जरूरी है, ताकि अगर कभी उन्हें कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़े, तो वे खुद वज़ीर बनकर अपने और अपने परिवार के लिए एक मजबूत ढाल बन सकें।

किसी विद्वान ने कहा है, “एक बेहतरीन पत्नी वह होती है, जो अपने पति की मौजूदगी में एक आदर्श औरत हो और पति की गैरमौजूदगी में वह मर्द की तरह परिवार का बोझ उठा सके।”

यह कहानी हमें यह सिखाती है कि जीवन में परिस्थितियां चाहे जैसी भी हों, अगर आत्मविश्वास और समझदारी हो, तो किसी भी मुश्किल हालात को पार किया जा सकता है।

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सरिता जैन

सेवानिवृत्त हिन्दी प्राध्यापिका

हिसार

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