ऑन लाइन शॉपिंग

 ऑन लाइन शॉपिंग

सोने-चांदी के व्यापारी नंदू भाई सोनी ने बाज़ार से धर्मेन्द्र भाई की दुकान से 20,000 रुपए का टी.वी. खरीदा।

टी.वी. के व्यापारी धर्मेन्द्र भाई ने 20,000 रुपए का व्यापार होते ही रमेश ट्रेडिंग कम्पनी से  अपने घर के लिए पानी की नई मोटर और प्लंबिंग का सामान खरीदा।

प्लंबिंग के व्यापारी राजाराम चौधरी ने अपनी ज़रूरत के हिसाब से उसी बाजार से दिनेश भाई की दुकान से कपड़े और किराना का सामान खरीदा। 

दिनेश भाई ने उसी पैसे को अपने बच्चों की फीस श्रवण भाई के स्कूल में जमा करवाए। 

श्रवण भाई ने देवीलाल जी से स्कूल में कंस्ट्रक्शन का काम करवाया और वे पैसे देवीलाल जी को दे दिये। 

देवीलाल जी ने वे पैसे अपने मज़दूरों को दिये। 

मजदूरों ने बाबू भाई से सब्जी व दूदाराम, सांवलाराम, मांगीलाल से अपने ज़रूरत का किराणा का सामान खरीदा और सब्जी व किराणे वालों ने अपनी अपनी ज़रूरत के हिसाब से नंदू भाई से गहनों की खरीदारी की।

मतलब कि वही पैसा घूम फिर कर वापस ‘नंदू भाई सोनी’ के पास आया और सब का व्यापार हुआ..!!

अब यहां सवाल यह है कि... 

नंदू भाई ने टीवी ऑनलाइन खरीदा होता तो......?? 

तो वह पैसे कहां जाता? 

अगर आप सच्चे भारतीय हैं तो दिमाग लगाएं ..!!

यदि आप लोकल मार्केट से ही खरीदारी करेंगे, तो आपके पैसे आपके गांव या शहर में ही घूमते रहेंगेकृऔर अंत में आपके पास ही आ जाएंगे!!

दूसरी ओर ऑनलाइन से खरीदारी करने के बाद पैसे ऐसी जगह चले जाएंगे, जो आपकी आने वाली दूसरी पीढ़ी के भी काम नहीं आएंगे ..!! 

इसलिए सस्ते माल के लालच में न आएं और अपने मार्केट से ही खरीदारी करें..!!

अपने साथ-साथ अपने परिवार, नगर और राष्ट्र को भी समृद्ध बनाएं..!! 

यही सच्ची देशभक्ति कहलाएगी।

--

सरिता जैन

सेवानिवृत्त हिन्दी प्राध्यापिका

हिसार

🙏🙏🙏


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