फूल और सुगंध

  फूल और सुगंध

एक व्यक्ति ने एक फूल से कहा- कल तो तुम मुरझा जाओगे, फिर क्यों मुस्कुराते रहते हो? और तुम व्यर्थ में ही यह ताजगी किसलिए लुटाते हो?

फूल चुप रहा।

इतने में एक तितली आई, पल भर फूल का आनंद लिया और फिर उड़ गई।

एक भंवरा आया। फूल को गान सुनाया, उसकी सुगंध बटोरी और फिर आगे बढ़ गया। 

एक मधुमक्खी आई। पल भर भिनभिनाई, फूल से पराग समेटा और फिर झूमती गाती हुई चली गई।

खेलते हुए एक बालक ने फूल का स्पर्श सुख लिया, उसका रूप-लावण्य निहारा, मुस्कुराया और फिर खेलने लग गया।

तब फूल बोला- मित्र! क्षण भर को ही सही, पर यह देखो कि मेरे जीवन ने कितनों को सुख दिया। क्या तुमने भी कभी ऐसा किया? 

कल की मुरझाने की चिन्ता में आज के आनंद में विराम क्यों करूं?

माटी ने जो रूप, रंग, रस और गंध दिए हैं, उसे बदनाम क्यों करूं।

मैं हंसता हूं, क्योंकि हंसना मुझे आता है।

मैं खिलता हूं, क्योंकि खिलना मुझे सुहाता है।

मैं मुरझा गया तो क्या, कल फिर से एक नया फूल खिलेगा।

न कभी मुस्कान रुकी है और न ही कभी सुगंध।

जीवन तो एक सिलसिला है, और इसी तरह चलेगा।

इसलिए..... जो कुछ भी आपको मिला है उसी में खुश रहिए, और हर पल प्रभु का शुक्रिया अदा करते रहिए।

क्योंकि आप जो यह जीवन जी रहे हैं, वह जीवन कई लोगों ने तो देखा तक भी नहीं है।

’सदा खुश रहो और खुशियां बाटते रहो, मुस्कुराते रहो और अपनों को भी मुस्कुराते हुए देखते रहो।’ आपका जीवन भी फूल की सुगन्ध की तरह सदा महकता रहेगा।

--

सरिता जैन

सेवानिवृत्त हिन्दी प्राध्यापिका

हिसार

🙏🙏🙏


विनम्र निवेदन

यदि आपको यह लेख प्रेरणादायक और प्रसन्नता देने वाला लगा हो तो कृपया comment के द्वारा अपने विचारों से अवगत करवाएं और दूसरे लोग भी प्रेरणा ले सकें इसलिए अधिक-से-अधिक share करें।

धन्यवाद।

Comments

Popular posts from this blog

अगली यात्रा - प्रेरक प्रसंग

Y for Yourself

आज की मंथरा

आज का जीवन -मंत्र

बुजुर्गों की सेवा की जीते जी

स्त्री के अपमान का दंड

आपस की फूट, जगत की लूट

वाणी हमारे व्यक्तित्व का दर्पण है

मीठी वाणी - सुखी जीवन का आधार

वाणी बने न बाण