सीख

  सीख 

महात्मा बुद्ध अपने भिक्षुओं से कहते थे कि तुम चौबीस घण्टे, राह पर कोई भी दिखे, उसकी मंगल की कामना करना!

वृक्ष भी मिल जाए, तो उसकी मंगल की कामना करके उसके पास से गुज़रना!

पहाड़ भी दिख जाए तो मंगल की कामना करके उसके निकट से गुज़रना!

राहगीर दिख जाए, चाहे वह जानकार हो या अनजान, तो उसके पास से मंगल की कामना करके राह से गुज़रना!

एक भिक्षु ने पूछा - इससे क्या फायदा?

बुद्ध ने कहा - इसके दो फायदे हैं।

पहला तो यह कि तुम्हें गाली देने का अवसर नहीं मिलेगा, तुम्हें बुरा खयाल करने का अवसर नहीं मिलेगा। तुम्हारी शक्ति नियोजित हो जाएगी मंगल की दिशा में।

दूसरा फायदा यह कि जब तुम किसी के लिये मंगल की कामना करते हो, तो तुम उसके भीतर भी रिजोनेंस, प्रतिध्वनि पैदा करते हो। वह भी तुम्हारे लिए मंगल की कामना से भर जाता है !

लोग केवल सुख चाहते हैं; शांति, सत्य और मोक्ष नहीं।

प्रवचन की समाप्ति के बाद भगवान गौतम बुद्ध के पास कई लोग आते थे और अपनी जिज्ञासाओं का समाधान प्राप्त करते थे। एक दिन एक ग्रामीण गौतम बुद्ध के पास आया और बोला- भगवन्! आप कई वर्षों से शांति, सत्य और मोक्ष की बात करते है, किंतु अब तक कितने लोगों को मोक्ष मिला है।

बुद्ध ने कहा- तुम कल आना, तब मैं तुम्हारी बात का जवाब दूंगा, किंतु आने से पहले एक काम करना। पूरे गांव के चक्कर लगाते हुए सभी से पूछते हुए आना कि कौन-कौन शांति चाहते हैं और कौन-कौन मोक्ष। 

अगले दिन उस ग्रामीण ने पूरे गांव में चक्कर लगाया पर उसे कोई भी व्यक्ति ऐसा नहीं मिला जो शांति, सत्य, एवं मोक्ष चाहता हो। कोई धन चाहता है तो कोई यश। किसी को संतान चाहिए थी, तो किसी को दीर्घायु। ग्रामीण बुद्ध के पास आकर बोला - भगवन्! यह विचित्र गांव है। कोई कुछ चाहता है तो कोई कुछ, लेकिन शांति और मोक्ष चाहने वाला कोई नहीं। 

तब बुद्ध ने कहा - इसमें विचित्र कुछ भी नहीं। हममें से प्रायः सभी सुख चाहते है, शांति नहीं। सुख प्राप्ति के लिए वे शांति के विपरीत मार्ग पर चलते है, लेकिन सुख का मार्ग कभी शांति का मार्ग नहीं हो सकता।

सार यह है कि व्यक्ति भौतिकता में सुख की खोज करता है जो निरंतर लिप्सा को बढ़ाती है और लिप्सा कभी शांति नहीं आने देती।

‘यदि आपको दुनिया को बदलना है, तो सबसे पहले आपको अपने आप को बदलना होगा।’ यही महात्मा के शब्द थे। हम सभी में दुनिया बदलने की ताकत है, पर इसकी शुरूआत खुद से ही होती है। कुछ और बदलने से पहले हमें खुद को बदलना होगा। हमें खुद को तैयार करना होगा। अपनी काबिलियत की अपनी ताकत बनाना होगा।

अपने रवैये को सकारात्मक बनाना होगा। अपनी चाह को फौलाद करना होगा। तभी हम वह हर एक बदलाव ला पाएंगे, जो हम सचमुच में लाना चाहते हैं।

दोस्तों, इसी बात को महात्मा ने बड़े ही प्रभावी ढंग से कहा है -

“खुद में वह बदलाव लाइए, जो आप दुनिया में देखना चाहते हैं।”

तो चलिए! क्यों न आज से ही हम महात्मा की राहों पर चलने की कोशिश करें और पहले अपने मन में वह सुख और शांति का भाव लायें, जो हम दुनिया में अपने आसपास में देखना चाहते हैं..!!

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सरिता जैन

सेवानिवृत्त हिन्दी प्राध्यापिका

हिसार

🙏🙏🙏


विनम्र निवेदन

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