रेलवे गार्ड

  रेलवे गार्ड       

जब प्रभु ने रेलवे गार्ड की नौकरी की। (सत्य घटना)

यह प्रश्न सदियों से चला आ रहा है कि इस सृष्टि में कौन बड़ा है? भक्त या भगवान? सभी व्यक्तियों के इस संबंध में अलग-अलग मत हैं। अधिकांश लोगों का यही कहना है कि भगवान बड़े हैं तो कुछ कहते हैं - भक्त। लेकिन हमारी पौराणिक गाथाओं में भी ऐसा कितनी बार हुआ है कि जब स्वयं भगवान को भी भक्तों के सामने झुकना पड़ा है।

क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि जब प्रभु अपने भक्तों की सच्ची भक्ति से प्रसन्न हो जाते हैं, तो वे भक्तों के दास तक बन जाते हैं। ऐसी ही एक घटना अपने देश भारत के मध्यप्रदेश के ग्वालियर शहर में घटित हुई। यह वह अदभुत घटना थी, जब गार्ड साहब की नौकरी करने खुद परमपिता परमेश्वर निकल पड़े।

यह पूरी चमत्कारिक घटना है कि जब अपने परम भक्त गार्ड साहब की अनुपस्थिति में उनके प्रभु ने स्वयं उनकक स्थान पर नौकरी की। अब प्रश्न है कि यह गार्ड साहब कौन थे? वास्तव में यह पूरी घटना ग्वालियर के रेलवे विभाग में कार्य करने वाले आर. सी. प्रसाद से संबंधित है।

आर. सी. प्रसाद नाम के व्यक्ति भारतीय रेलवे में ट्रेन गार्ड के पद पर तैनात थे। ट्रेन गार्ड आर. सी. प्रसाद मुरलीधर प्रभु श्याम के सच्चे भक्त थे। उन्हें बचपन से ईश्वर की भक्ति में तल्लीन रहना बहुत अच्छा लगता था। ट्रेन गार्ड आर. सी. प्रसाद की सबसे विशेष बात यह थी कि वह जब भगवान की भक्ति में लीन हो जाते थे, तब उस समय बाहर की दुनिया से उनका संपर्क टूट जाता था।

वे अपना मन अपने इष्ट देवता के चरणों में पूर्ण रूप से रमा लेते थे। उसके बाद तो वह उस अलौकिक दुनिया मैं पहुंच जाते थे, जहाँ केवल वह और उनके प्रभु श्याम होते थे। गार्ड साहब आर .सी . प्रसाद का सुबह और शाम घंटों भगवान की पूजा में तल्लीन रहना उनकी दिनचर्या में शामिल हो गया था। लेकिन एक दिन ऐसा गजब हुआ कि वह अपनी ईश वंदना में इतने मग्न हो गए कि वह अपनी सारी सुध- बुध खो बैठे।

उस दिन प्रातः काल का समय था। रेलवे विभाग में कार्यरत ट्रेन गार्ड आर. सी. प्रसाद नित्य की भांति उस दिन भी प्रभु भक्ति में संलग्न थे। वे स्वयं हारमोनियम बजाते हुए अपने प्रभु श्याम के भजन गा रहे थे। भजन गाते-गाते वे प्रभु के स्मरण में इतने खो गये कि उन्हें पता ही नहीं चला कि कब सुबह के 6 :00 बजे से 9ः30 हो चले थे।

रेलवे गार्ड आर. सी. प्रसाद अपनी प्रभु की भक्ति में इस प्रकार तल्लीन थे कि उन्हें अपनी ड्यूटी पर जाना याद ही नहीं रहा। जब 9ः30 बजे गार्ड साहब पूजा करके उठे तब उन्हें याद आया कि आज उन्हें अपनी ट्रेन ग्वालियर रेलवे स्टेशन से लेकर गुना रेलवे स्टेशन तक जाना था, जिसके लिए उन्हें 9ः15 पर स्टेशन पहुंचना था, लेकिन 9ः30 हो चुके थे।

रेलवे गार्ड आर. सी. प्रसाद हड़बड़ा उठे। उन्होंने तुरंत अपनी यूनिफॉर्म पहनी और तेजी से बाइक से रेलवे स्टेशन की तरफ चल पड़े। लेकिन जब वह स्टेशन पहुंचे तो उनके विभाग के अन्य साथी उनको देखकर आश्चर्य में पड़ गए। वे उनसे कहने लगे कि प्रसाद जी आप यहाँ कैसे?

आर. सी. प्रसाद जी को यह समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर उनके विभाग के सहकर्मी उनसे क्या कहना चाहते हैं? ट्रेन के समय पर न पहुंचने के कारण आर. सी. प्रसाद की गुना वाली ट्रेन जा चुकी थी। अब गार्ड आर. सी. प्रसाद अपने अधिकारी से समय पर ड्यूटी के लिए न पहुंचने के कारण सॉरी बोलने के लिए गए।

लेकिन जैसे ही वह अपने अधिकारी के पास पहुँचे, तो वह भी उनको देखकर चौंक उठे। आर. सी. प्रसाद जी से उनके अधिकारी ने बताया कि तुम तो गुना वाली ट्रेन लेकर 9ः15 पर चले गए थे, फिर इस समय ग्वालियर में कैसे नजर आ रहे हो? अब गार्ड साहब आर. सी. प्रसाद के चौंकने की बारी थी।

उनके मन में यह प्रश्न उठ रहा था कि आज भगवान की पूजा में देरी हो जाने के कारण जब वह सुबह पर स्टेशन पर पहुंचे ही नहीं, तो उनके स्थान पर वह कौन था जो ट्रेन लेकर चला गया? क्योंकि विभाग के लोगों का यही कहना है कि मैं उस ट्रेन को लेकर गुना रेलवे स्टेशन गया हूँ। इसीलिए ऐसे में फिर यहां ग्वालियर के स्टेशन पर मै किस प्रकार खड़ा हूँ?

अब रेलवे गार्ड आर. सी. प्रसाद का माथा ठनका। उन्होंने सोचा कि मैं तो सुबह के समय प्रभु की पूजा में लीन था। उस समय हो न हो, उनके प्रभु श्याम ही उनकी नौकरी बचाने के लिए गार्ड बनकर ट्रेन से गुना चले गए। जब गार्ड आर. सी. प्रसाद ने लोगों को यह बात बताई तो किसी को उनकी बात पर विश्वास ही नहीं हुआ।

लेकिन फिर भी सभी लोग इस बात को सोचने के लिए विवश हो गए कि कोई तो था जो गार्ड आर. सी. प्रसाद के स्थान पर ट्रेन लेकर चला गया। रेलवे गार्ड आर. सी. प्रसाद प्रभु की इस कृपा से पूरी तरह गद्गद् हो गए। वे बार-बार यह सोचकर भावुक हो रहे थे कि उनके प्रभु श्याम ने उनके स्थान पर रेलवे की नौकरी की।

भाव विभोर होकर उनकी आँखो से अश्रु की धारा बह निकली। उन्होंने उसी दिन निश्चय किया कि अब वह रेलवे की गार्ड की नौकरी छोड़ कर पूरी तरह प्रभु की शरण में चले जाएंगे। गार्ड साहब ने सोचा कि जिन प्रभु श्याम ने उनकी नौकरी की, अब वह आजीवन उनकी ही नौकरी करेंगे।

उन्होंने अपना शेष जीवन प्रभु के चरणों में सौंप दिया। अब आर. सी. प्रसाद जी रेलवे विभाग के ट्रेन गार्ड की सर्विस से रिटायरमेंट लेकर पूरी तरह अपने श्याम प्रभु के शरण में चले गये। उस दिन के बाद वह अपने जीवन का अधिकांश समय ईश्वर की भक्ति में व्यतीत करने लगे। प्रभु के गार्ड बनने की घटना जिस किसी ने सुनी, वह चकित रह गया..!!

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सरिता जैन

सेवानिवृत्त हिन्दी प्राध्यापिका

हिसार

🙏🙏🙏


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धन्यवाद।

Comments

  1. Jain darshan may bhagwan ki bhaki nihsuwarth kee jati h aiwam itna phal milta h ki socha bhee nahee ja sakta.bhgwan par atoot sharaddha honee chahiy.

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