भिखारी पने का अनुभव
भिखारी पने का अनुभव
एक भिखारी एक दिन अमेरिका के एक अरब पति एण्ड्रू कार्नेगी के पास गया। सुबह ही सुबह जाकर उसने बड़ा शोरगुल मचाया। तो एण्ड्रू कार्नेगी खुद बाहर आया और उसने कहा कि इतना शोर गुल मचाते हो! और भीख मांगनी हो तो वक्त से मांगने आओ! अभी सूरज भी नहीं निकला है, अभी मैं सो रहा था।
उस भिखारी ने कहा - रुकिए। अगर मैं आपके व्यवसाय के संबंध में कोई सलाह दूं तो क्या आपको अच्छा लगेगा?
एण्ड्रू कार्नेगी ने कहा कि बिलकुल अच्छा नहीं लगेगा। तुम सलाह दे भी क्या सकते हो मेरे व्यवसाय के संबंध में! तुम्हारा कोई अनुभव नहीं है।
उस भिखारी ने कहा - आप भी सलाह मत दें। आपको भी मेरे व्यवसाय का कोई अनुभव नहीं है। जब तक हम उत्पात न करें, शोर न करें, तब तक कोई भीख नहीं देता?
आपके अनुसार आपके वक्त से आने पर आपसे मिलना ही मुश्किल था। तब सेक्रेटरी होता, पहरेदार होते। अभी बेवक्त आया हूं तो सीधा आपसे मिलना हो गया। सलाह आप मुझको मत दें, मेरा पुराना धंधा है और बपौती है, बाप-दादा भी यही करते रहे हैं।
एण्ड्रू कार्नेगी ने अपने संस्मरणों में लिखा है कि मैं खुश हुआ उस आदमी की बात से। मैंने उससे कहा कि तुम क्या चाहते हो?
उस आदमी ने कहा कि मैं ऐसे मुफ्त कभी किसी से कुछ लेता नहीं। मैं कोई भिखारी नहीं हूं। लेकिन एक काम मैं कर सकता हूं जो आप नहीं कर सकते। और अगर कुछ दाव पर लगाने की इच्छा हो, तो बोलिए!
एण्ड्रू कार्नेगी ने लिखा है कि मुझे भी रस आने लगा कि वह क्या कह रहा है। कौन-सा काम है, जो वह कर सकता है और मैं नहीं कर सकता! तो मैंने उससे कहा - अच्छा सौ डालर दाव पर। वह कौन सा काम है?
उसने कहा कि मैं एक सर्टिफिकेट ला सकता हूं कि मैं भिखारी हूं पर आप सर्टिफिकेट नहीं ला सकते। एण्ड्रू कार्नेगी ने अपने संस्मरण में लिखा है - सौ डालर मैंने उसे दिए, लेकिन फिर मैं सोचता रहा कि सर्टिफिकेट मैं ला सकूं या न ला सकूं, भिखारी तो मैं भी हूं।
अरबों रुपए मेरे पास हैं। इससे क्या फर्क पड़ता है! भीख तो जारी है। अभी भी मांग तो जारी है। अभी भी मैं खोज तो रहा ही हूं। कोई मुझे सर्टिफिकेट नहीं देगा, क्योंकि अगर मैं भिखारी हूं तो इस जगत में कोई भी समृद्ध नहीं है। दस अरब रुपए एण्ड्रू कार्नेगी छोड़कर मरा है।
पर उसने लिखा है कि भिखारी तो मैं हूं। उस आदमी ने बात तो ठीक ही कही है। क्योंकि अभी भी मेरी मांग है, आकांक्षा है। मेरा भिक्षा का पात्र अभी भी हाथ में है। अभी भी मुझे कुछ मिल जाए तो मैं सब खोने को तैयार हूं। कुछ मिल जाए तो अपने को और लगाने को तैयार हूं।
एण्ड्रू कार्नेगी जब मरा, तो मरने के दो दिन पहले जो आदमी उसकी जीवन कथा लिख रहा था, उससे उसने पूछा कि अगर तुम्हें परमात्मा यह मौका दे, तो क्या मरने के बाद तुम एण्ड्रू कार्नेगी के सेक्रेटरी होकर उसकी आत्म कथा लिखना पसंद करोगे? या तुम एण्ड्रू कार्नेगी बनना पसंद करोगे और एण्ड्रू कार्नेगी सेक्रेटरी होकर तुम्हारी आत्म कथा लिखे? तो उस सेक्रेटरी ने कहा - क्षमा करें, आप बुरा न मानें; एण्ड्रू कार्नेगी बनना मैं कभी पसंद नहीं करूंगा। मैं ठीक हूं कि आपकी आत्म कथा लिख रहा हूं।
एण्ड्रू कार्नेगी ने कहा, इसका क्या कारण है?
उसने कहा कि देखें, मैं आता हूं ग्यारह बजे; पांच बजे मेरी छुट्टी हो जाती है। आपके दफ्तर के क्लर्क आते हैं दस बजे, पांच बजे उनकी छुट्टी हो जाती है। चपरासी आता है नौ बजे, पांच बजे उसकी भी छुट्टी हो जाती है। आपको मैं सुबह सात बजे से दफ्तर में रात ग्यारह बजे तक देखता हूं। चपरासी से गई बीती हालत आपकी है। एण्ड्रू कार्नेगी भगवान मुझे कभी न बनाए। वह मैं नहीं होना चाहता।
एण्ड्रू कार्नेगी ठीक ही कह रहा है कि मैं भी भिखारी तो हूं ही। सब पाकर भी अगर आत्मा की शांति न मिले, तो भिखमंगे पन का अनुभव होगा। और सब खो जाए, आत्मा बच जाए, तो भीतर के सम्राट का पहली दफा अनुभव होता है।
--
सरिता जैन
सेवानिवृत्त हिन्दी प्राध्यापिका
हिसार
🙏🙏🙏
विनम्र निवेदन
यदि आपको यह लेख प्रेरणादायक और प्रसन्नता देने वाला लगा हो तो कृपया comment के द्वारा अपने विचारों से अवगत करवाएं और दूसरे लोग भी प्रेरणा ले सकें इसलिए अधिक-से-अधिक share करें।
धन्यवाद।
Comments
Post a Comment