पहनावा
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पहनावा
Image by S. Hermann & F. Richter from Pixabay
एक बार एक व्यक्ति रेलवे प्लेटफॉर्म पर उतरा और तरोताज़ा होने के लिये किसी सैलून में गया। उसके वस्त्रों और हाव भाव से वह साधारण सा ग़रीब व्यक्ति लग रहा था। वहां के कर्मचारियों ने भी उसका कामचलाऊ सा शेव बनाकर उसे निपटा दिया।
जब उस ग़रीब के द्वारा पैसे देने की बारी आयी तो उसने शाही रकम द्वारा भुगतान किया। सब अचंभित हो गए। कुछ समय बाद जब वह अगली बार गया तो अबकी बार उसका बड़े शाही तरीके से मिज़ाज पुर्सी की गई। यह सोचकर कि जब यह बंदा मामूली काम के बढ़िया पैसे दे गया था तो आज और ज़्यादा देगा, पर इस बार उसने जो मामूली सा मेहनताना बनता था, वही दिया।
उससे पूछने पर जवाब मिला, “आज के काम के पैसे पिछली बार दिये थे और उस बार के आज।“
कर्मचारी बहुत शर्मिंदा हुए अपने पहली बार के पक्षपाती व्यवहार पर।
संदेश - किसी के बाह्य वस्त्र और उसके हाव-भाव को देखकर आप उसे हल्का न समझें, सबके साथ कर्त्तव्यनिष्ठ होकर समान व्यवहार करें।
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सरिता जैन
सेवानिवृत्त हिन्दी प्राध्यापिका
हिसार
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