भगवान की प्लानिंग
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भगवान की प्लानिंग
Image by pasja1000 from Pixabay
एक बार भगवान से उनके सेवक ने कहा - भगवन्! आप एक जगह खड़े-खड़े थक गये होंगे?
एक दिन के लिए मैं आपकी जगह मूर्ति बन कर खड़ा हो जाता हूं। आप मेरा रूप धारण कर घूम आओ।
भगवान उसकी बात मान गए लेकिन शर्त रखी कि जो भी लोग प्रार्थना करने आए, तुम बस उनकी प्रार्थना सुन लेना, कुछ बोलना नहीं। मैंने उन सभी के लिए प्लानिंग कर रखी है।
सेवक मान गया कि प्रभु! जैसी आपकी इच्छा।
सबसे पहले मंदिर में एक बिजनेस मैन आया और बोला कि भगवन्! मैंने एक नई फैक्ट्री डाली है। उसे खूब सफल करना।
उसने भगवान के सामने अपना माथा टिकाया तो उसका पर्स नीचे गिर गया। उसे पता ही नहीं चला और वह बिना पर्स लिये ही चला गया।
सेवक का मन बेचैन हो गया। उसने सोचा कि रोक कर उसे बताए कि उसका पर्स गिर गया। लेकिन शर्त की वजह से वह नहीं कह पाया।
इसके बाद एक ग़रीब आदमी आया और उसने भगवान को कहा कि घर में खाने को कुछ नहीं है। हे भगवान! मेरी मदद करो।
तभी उसकी नज़र पर्स पर पड़ी। उसने भगवान का शुक्रिया अदा किया और पर्स लेकर चला गया।
अब तीसरा व्यक्ति आया जो एक नाविक था।
वह भगवान से बोला कि मैं 15 दिनों के लिए ज़हाज़ लेकर समुद्र की यात्रा पर जा रहा हूं। यात्रा में कोई अड़चन न आए, भगवान।
तभी पीछे से बिजनेस मैन पुलिस के साथ आया और बोला कि मेरे बाद यह नाविक आया है मंदिर में। अवश्य इसी ने मेरा पर्स चुरा लिया होगा। पुलिस नाविक को पकड़ कर ले जा रही थी, तभी भगवान बना हुआ सेवक बोल पड़ा कि पर्स इसने नहीं, उस ग़रीब आदमी ने लिया है।
अब पुलिस ने सेवक के कहने पर उस गरीब आदमी को पकड़ कर जेल में बंद कर दिया।
रात को भगवान घूम कर वापिस आए तो सेवक ने खुशी-खुशी पूरा किस्सा बताया।
भगवान ने कहा कि तुमने किसी का काम बनाया नहीं, बल्कि बिगाड़ा है। वह व्यापारी ग़लत धंधे करता है। अगर उसका पर्स गिर भी गया तो उसे फर्क नहीं पड़ता। इससे उसके पाप ही कम होते क्योंकि वह पर्स ग़रीब इंसान को मिला था। पर्स मिलने पर उसके बच्चे भूखों नहीं मरते!
रही बात नाविक की, तो वह जिस यात्रा पर जा रहा था, वहाँ तूफान आने वाला था। अगर वह जेल में रहता, तो उसकी जान बच जाती। उसकी पत्नी विधवा होने से बच जाती। तुमने सब गड़बड़ कर दिया।
कई बार हमारी लाइफ में भी ऐसी परेशानी आती है। जब हमें लगता है कि ये मेरे साथ ही क्यों हुआ? लेकिन इसके पीछे भगवान की प्लानिंग होती है। अपने-अपने कर्मों के अनुसार ही हमें सुख-दुःख मिलते हैं।
शिक्षाः जब भी कोई परेशानी आए तो उदास मत होना। बस इस कहानी को याद करना और सोचना कि जो भी होता है, अच्छे के लिए होता है।
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सरिता जैन
सेवानिवृत्त हिन्दी प्राध्यापिका
हिसार
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धन्यवाद।
Thank you madam. Whatever happens in this Sangam age it is good for us
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