भगवान के नाम की अलौकिक शक्ति
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भगवान के नाम की अलौकिक शक्ति
Image by Ralf Kunze from Pixabay
एक बार की बात है, बैकुंठ लोक में भगवान विष्णु के पास देवर्षि नारद गए और भगवान से जिज्ञासा प्रकट की कि भगवन्! मैं नाम की महिमा जानना चाहता हूँ।
भगवान ने कहा कि मेरे नाम की महिमा जानना चाहते हो तो मृत्युलोक में जाओ और किसी कीड़े के सम्मुख जाकर मेरे दिव्य नाम का उच्चारण करो।
नारद जी मृत्युलोक में गए और देखा कि एक कीड़ा अपनी स्वाभाविक गति से रेंग रहा है। नारद जी ने उसके सम्मुख भगवान के दिव्य नाम का उच्चारण किया। कीड़ा उसी क्षण मर गया। नारद जी भगवान के पास आए और शिकायत करने लगे कि भगवान आपका दिव्य नाम सुनते ही कीड़ा तो मर गया।
भगवान मुस्कुराए और कहा - मृत्यु लोक में पुनः जाओ। वहां पर फूल पर तितली बैठी होगी। उसे मेरा नाम सुनाओ।
नारद जी मृत्युलोक में गए और देखा कि एक फूल पर मस्ती से तितली बैठी है। उसे भगवान का नाम सुनाया। तितली नाम सुनते ही मर गई। नारद जी फिर भगवान के पास गए और कहा कि भगवान आपके नाम को सुनते ही तितली तो मर गई।
भगवान ने कहा कि कोई बात नहीं। इस बार किसी हिरनी के शावक को मेरा नाम सुनाओ।
नारद जी मृत्युलोक में गए और देखा कि एक नर हिरण और मादा हिरनी के पास छोटा सा शावक खेल रहा है। नारद जी सहमे-सहमे कदमों से बच्चे के पास गए और उसे भगवान का नाम सुनाया। नाम सुनते ही हिरनी का शावक भी मर गया। नारद जी यह सब देखकर दुखी हो गए और भारी मन से भगवान के पास जाकर कहा - भगवन्! यह सब मैं क्या देख रहा हूँ। आपका पवित्र नाम तो तारने वाला होना चाहिए किंतु यहां तो जीव-जंतु मरते जा रहे हैं।
भगवान ने आश्वासन दिया कि डरने की कोई बात नहीं है। एक बार मृत्युलोक में फिर से जाओ और उस निश्चित स्थान पर जन्मे नवजात गाय के बछड़े को मेरा नाम सुनाओ।
नारद जी न चाहते हुए भी भगवान के बार-बार कहने पर मृत्युलोक में आए और देखा कि एक गाय के पास एक नवजात बच्चा पूँछ उठाकर पूरे उल्लास से दुग्ध-पान कर रहा है। नारद जी डरे-डरे से बछड़े के पास गए और भगवान के नाम का उच्चारण किया। गाय के बछड़े की भी वही गति हुई और वह तत्क्षण मर गया। नारद जी दौड़े-दौड़े भगवान के पास आए और कहा कि भगवन्! बंद कीजिए अपना यह नाटक। मुझे नाम की महिमा नहीं जानना। आपका नाम उच्चारण तो जीवों को मार रहा है। मेरी और परीक्षा मत लो।
भगवान ने कहा - शांत हो जाओ ऋषिवर! एक बार मेरे कहने से मृत्युलोक में फिर जाओ और इस बार जीव-जंतुओं पर नहीं, मनुष्यों पर मेरे नाम का प्रभाव देखो। काशी नरेश के यहां एक पुत्र हुआ है, उसके कान में मेरा अलौकिक नाम सुनाओ।
नारद जी बोले - भगवन्! आप मुझे कहाँ भेज रहे हैं। मैं बदनाम हो जाऊंगा। मुझे लोग हत्यारा कहेंगे।
भगवान के आदेश से, उनके बार-बार विश्वास दिलाने पर नारद जी काशी नरेश के यहां गए। वहां शिशु जन्म के उपलक्ष्य में उत्सव मनाया जा रहा था। राजा को जब पता चला कि बैकुंठ से देवर्षि आए हैं तो उन्होंने उनका खूब स्वागत-सत्कार किया और कहा कि आप नवजात शिशु को आशीर्वाद दीजिए। नारद जी के पैर आगे नहीं बढ़ रहे थे। भय से व्याकुल वे शिशु के समीप गए और उसके कान में दिव्य भगवान के नाम का उच्चारण किया।
नारद जी ने जैसे ही नाम सुनाया, शिशु ने बोलकर नारद जी को प्रणाम किया। नारद जी अत्यंत आश्चर्यचकित एवं गद्-गद् होकर बोले कि बालक! तुम कौन सी शक्ति से बोल रहे हो।
उसने कहा - हे देवर्षि! क्या आपने प्रभु के दिव्य नाम की महिमा एवं शक्ति नहीं पहचानी है! मैं एक कीड़ा से तितली, हिरण शावक, गाय का बछड़ा बना और प्रभु नाम से मैं सहज ही प्राण त्यागता रहा तथा आज मनुष्य जन्म में आया हूँ।
नारदजी के सब संशय दूर हो गए और उन्हें नाम की अलौकिक शक्ति का ज्ञान भी हो गया..!!
भगवान का नाम ही हमें सद्गति प्रदान कर सकता है।
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सरिता जैन
सेवानिवृत्त हिन्दी प्राध्यापिका
हिसार
🙏🙏🙏
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धन्यवाद।
God name will remove the pain and will give peace and happiness
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