स्वयं का महत्व
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स्वयं का महत्व
Image by Hans Benn from Pixabay
प्रसन्नता का गियर हमेशा अपने हाथ में रखें। वैवाहिक जीवन पर आधारित एक लाईफ स्किल सेशन में स्पीकर ने दर्शकों में उपस्थित एक महिला से पूछा, “क्या आपके पति आपको खुश रखते हैं?”
इस प्रश्न पर उस महिला का पति बहुत ही आश्वस्त था क्योंकि उनका वैवाहिक जीवन काफी सफल था। उसे पता था, उसकी पत्नी क्या बोलेगी क्योंकि पूरी शादी-शुदा जिंदगी में उसकी पत्नी ने कभी भी किसी भी बात के लिए कोई शिकायत नहीं की थी।
महिला ने बहुत ही गंभीर आवाज़ में जवाब दिया - “नहीं, मेरे पति मुझे प्रसन्न नहीं रखते।” पति बहुत ही चकित था और वहाँ मौजूद बहुत से दूसरे लोग भी।
परन्तु उसकी पत्नी ने बोलना जारी रखा - “मेरे पति ने मुझे कभी खुश नहीं किया और न ही वे कर सकते हैं पर फिर भी मैं खुश हूँ। मैं खुश हूँ या नहीं, यह मेरे पति पर नहीं बल्कि मुझ पर निर्भर है। मैं स्वयं ही एकमात्र व्यक्ति हूँ जिस पर मेरी खुशी निर्भर करती है।
मेरी ज़िन्दगी की हर परिस्थिति और हर पल में मैं खुश रहना पसंद करती हूँ, क्योंकि अगर मेरी खुशी किसी दूसरे व्यक्ति, किसी वस्तु या किसी हालात पर निर्भर करती है तो यह मुझे पसंद नहीं और इससे मुझे बहुत तकलीफ़ होती है।
जीवन में जो कुछ भी है, वह हर पल बदलता रहता है। वह व्यक्ति, समृद्धि, पैसा, शरीर, मौसम, ऑफिस में बॉस, सुख-दुख, दोस्त और मेरी शारीरिक व मानसिक अवस्था कुछ भी हो सकता है, जो हर पल बदलता रहता है। यह अन्तहीन सूची है और यही हमारी खुशी को प्रभावित करती रहती है।
मुझे स्वयं खुश रहने का फैसला करना होगा चाहे जीवन में कुछ भी हो। मेरे पास साढ़ियाँ ज्यादा हैं या कम, पर मैं खुश हूँ। चाहे मैं घर में अकेली रहूँ या बाहर घूमने जाऊँ, मैं खुश हूँ। चाहे मेरे पास बहुत पैसा हो या नहीं पर मैं खुश हूँ। चाहे टी.वी. पर मेरा पसंदीदा सीरियल आ रहा है या क्रिकेट मैच। पर मैं सदा खुश हूँ।
मैं शादीशुदा हूँ पर मैं तब भी खुश थी जब मैं सिंगल थी। मैं अपने स्वयं के लिए खुश हूँ। मैं अपने जीवन को इसलिए प्यार नहीं करती कि वह दूसरों से आसान है बल्कि इसलिए कि मैंने स्वयं खुश रहने का फैसला किया है।
जब प्रसन्न रहने का दायित्व मैं अपने आप पर लेती हूँ तब मैं अपने पति के कंधों से अपनी देखभाल करने का बोझ हल्का करती हूँ। यह सोच मेरे जीवन को बहुत आसान बनाती है और यह हर किसी को बना सकती है और यही एकमात्र कारण है कि हम बहुत सालों से सफल और प्रसन्न वैवाहिक जीवन का आनन्द ले रहे हैं। अपनी प्रसन्नता का गियर किसी के हाथ में मत दीजिए। प्रसन्न रहिये। चाहे जीवन में बहुत गर्मी हो या बरसात। चाहे आपके पास बहुत पैसा न हो। चाहे कोई आपको हर्ट करे।
पति चाहे स्टेयरिंग सीट पर बैठे हों और गाड़ी सपाट रोड पर दौड़ रही हो या ऊबड़-खाबड़ सड़क पर हिचकोले खा रही हो। गियर हमेशा प्रसन्नता मोड में ही रखें।
आपको कोई प्यार भी नहीं करेगा, कोई सम्मान भी नहीं देगा जब तक आप स्वयं अपने आप को महत्व नहीं देंगी। इसलिए आपको स्वयं को जानना बहुत जरूरी है। स्वयं के महत्व की जानकारी बेहद जरूरी है।
यदि हम स्वयं से प्यार करते हैं तो अपने मानसिक स्वास्थ्य का उत्तरदायित्व केवल हमारे ऊपर ही है।
मन स्वस्थ तो तन स्वस्थ।
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सरिता जैन
सेवानिवृत्त हिन्दी प्राध्यापिका
हिसार
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