पांच घंटियाँ
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पांच घंटियाँ
Image by Jaesung An from Pixabay
किसी जमाने में एक होटल हुआ करता था, जिसका नाम ‘द सिल्वर स्टार’ था। होटल मालिक के तमाम प्रयासों के बावजूद वह होटल बहुत अच्छा नहीं चल रहा था।
होटल मालिक ने होटल को आरामदायक, कर्मचारियों को विनम्र बनाने के अलावा किराया भी कम करके देख लिया, पर वह ग्राहकों को आकर्षित करने में नाकाम रहा।
इससे निराश होकर वह एक साधु के पास सलाह लेने पहुँचा।
उसकी व्यथा सुनने के बाद साधु ने उससे कहा, ‘इसमें चिंता की क्या बात है? बस! तुम अपने होटल का नाम बदल दो।’
होटल मालिक ने कहा, ‘यह असंभव है। कई पीढ़ियों से इसका नाम ‘द सिल्वर स्टार’ है और यह देश भर में प्रसिद्ध है।’
साधु ने उससे फिर कहा, ‘पर अब तुम इसका नाम बदल कर “द फाइव बैल्स” रख दो और होटल के दरवाजे पर छह घंटियाँ लटका दो।’
होटल मालिक ने कहा, ‘छह घंटियाँ? यह तो और भी बड़ी बेवकूफी होगी। आखिर इससे क्या लाभ होगा?’
साधु ने मुस्कुराते हुए कहा, ‘यह प्रयास करके भी देख लो।’
होटल मालिक ने वैसा ही किया।
इसके बाद जो भी राहगीर और पर्यटक वहाँ से गुजरता, होटल मालिक की गलती बताने चला आता।
अंदर आते ही वे होटल की व्यवस्था और विनम्र सेवा से प्रभावित हो जाते।
धीरे-धीरे वह होटल चल निकला। होटल मालिक इतने दिनों से जो चाह रहा था, वह उसे मिल गया।
दूसरे की गलती बताने में भी कुछ व्यक्तियों का अहं संतुष्ट होता है, परन्तु वह यह नहीं समझ पाता कि वह उसे छोटा नहीं, बड़ा बना रहा है।
इसलिए विनम्रता से उसका स्वागत करें।
कहानी से सीख -
जो आप को आप की गलतियां बताये, उसका विनम्रता से स्वागत करिए। इससे उसका समय बर्बाद हो रहा है, लेकिन भला आप का हो रहा है।
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सरिता जैन
सेवानिवृत्त हिन्दी प्राध्यापिका
हिसार
🙏🙏🙏
विनम्र निवेदन
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