संत तुकाराम

👼👼💧💧👼💧💧👼👼

संत तुकाराम

Image by Rajesh Balouria from Pixabay

एक बार की बात है, संत तुकाराम अपने आश्रम में बैठे हुए थे। तभी उनका एक शिष्य, जो स्वभाव से थोड़ा क्रोधी था, उनके समक्ष आया और बोला - ‘गुरु जी, आप कैसे अपना व्यवहार इतना मधुर बनाये रहते हैं? न आप किसी पर क्रोध करते हैं और न ही किसी को कुछ भला-बुरा कहते हैं। कृपया अपने इस अच्छे व्यवहार का रहस्य बताइए।’

संत बोले, ‘मुझे अपने रहस्य के बारे में तो नहीं पता, पर मैं तुम्हारा रहस्य जानता हूँ।’

‘मेरा रहस्य! वह क्या है, गुरु जी?’, शिष्य ने आश्चर्य से पूछा।

‘तुम अगले एक हफ्ते में मरने वाले हो’, संत तुकाराम दुःखी होते हुए बोले।

कोई और कहता तो शिष्य यह बात मजाक में टाल सकता था, पर स्वयं संत तुकाराम के मुख से निकली बात को कोई कैसे काट सकता था? शिष्य उदास हो गया और गुरु का आशीर्वाद लेकर वहाँ से चला गया।

उस समय से शिष्य का स्वभाव बिलकुल बदल-सा गया। वह हर किसी से प्रेम से मिलता और कभी किसी पर क्रोध नहीं करता, अपना ज्यादातर समय ध्यान और पूजा में लगाता। वह उनके पास भी जाता, जिससे उसने कभी गलत व्यवहार किया था और उनसे माफ़ी मांगता।

देखते-देखते संत की भविष्यवाणी को एक हफ्ता पूरा होने को आया। शिष्य ने सोचा कि चलो! एक आखिरी बार गुरु के दर्शन कर आशीर्वाद ले लेते हैं। वह उनके समक्ष पहुंचा और बोला, ‘गुरु जी, मेरा समय पूरा होने वाला है, कृपया मुझे आशीर्वाद दीजिये।’

‘मेरा आशीर्वाद हमेशा तुम्हारे साथ है, पुत्र! अच्छा, यह बताओ कि पिछले सात दिन कैसे बीते? क्या तुम पहले की तरह ही लोगों से नाराज़ हुए, उन्हें अपशब्द कहे?’, संत तुकाराम ने प्रश्न किया।

‘नहीं-नहीं, बिलकुल नहीं। मेरे पास जीने के लिए सिर्फ सात दिन थे, मैं इसे बेकार की बातों में कैसे गंवा सकता था? मैं तो सबसे प्रेम से मिला और जिन लोगों का कभी दिल दुःखाया था, उनसे क्षमा भी मांगी’, शिष्य तत्परता से बोला।

संत तुकाराम मुस्कुराए और बोले, ‘बस! यही तो मेरे अच्छे व्यवहार का रहस्य है। मैं जानता हूँ कि मैं कभी भी मर सकता हूँ, इसलिए मैं हर किसी से प्रेमपूर्ण व्यवहार करता हूँ और यही मेरे अच्छे व्यवहार का कारण है।’

शिष्य समझ गया कि संत तुकाराम ने उसे जीवन का यह पाठ पढ़ाने के लिए ही मृत्यु का भय दिखाया था। वास्तव में हमारे पास भी जीवन के सात दिन ही बचे हैं - रवि, सोम, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र और शनि, आठवां दिन तो बना ही नहीं है।

आइये आज से परिवर्तन आरम्भ करें।

--

सरिता जैन

सेवानिवृत्त हिन्दी प्राध्यापिका

हिसार

🙏🙏🙏


विनम्र निवेदन

यदि आपको यह लेख प्रेरणादायक और प्रसन्नता देने वाला लगा हो तो कृपया comment के द्वारा अपने विचारों से अवगत करवाएं और दूसरे लोग भी प्रेरणा ले सकें इसलिए अधिक-से-अधिक share करें।

धन्यवाद।


Comments

Popular posts from this blog

अगली यात्रा - प्रेरक प्रसंग

Y for Yourself

आज की मंथरा

आज का जीवन -मंत्र

बुजुर्गों की सेवा की जीते जी

स्त्री के अपमान का दंड

आपस की फूट, जगत की लूट

वाणी हमारे व्यक्तित्व का दर्पण है

मीठी वाणी - सुखी जीवन का आधार

वाणी बने न बाण