सफल तैराक
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सफल तैराक
Image by Uschi Dugulin from Pixabay
फ्रांस में एक तैराक हुए हैं ‘जेवियर’। फ्रांस के लिए उन्होंने ओलंपिक तक खेला। उन्हें फ्रांस के अच्छे तैराकों में गिना जाता रहा है। पर जेवियर दुर्भाग्यशाली थे। उन्हें ओलंपिक में स्वर्ण पदक नहीं मिला।
जेवियर की पत्नी भी तैराक है। उन्होंने भी फ्रांस के लिए ओलंपिक में भाग लिया है। पर मैडल उनके भाग्य में भी नहीं। सम्भव है कि वे स्वयं को दुर्भाग्यशाली मानते हों या उनमें गोल्ड जीतने लायक प्रतिभा न हो।
एक ओलंपिक में जेवियर उस माइकल फेल्प्स के साथ भी तैरे थे, जो ओलंपिक का बादशाह है। जिसके पास सबसे अधिक पदक हैं। फेल्प्स के आगे तो उन्हें हारना ही था और वे हार गए।
जेवियर के मन में वह हार बैठ गयी। वह हार उसे हमेशा दर्द देती रही, तड़पाती रही। पर करते क्या? उन्हें यह बात तो समझ आ गयी थी कि उनमें उतनी प्रतिभा नहीं जो ओलंपिक में अपना राष्ट्रगान बजवा सकें। जेवियर ने अपनी उम्मीदों को अपने बेटे में ढूंढना शुरू किया।
उनके लड़के में भी प्रतिभा थी। आखिर उसके माता-पिता ओलंपियन थे।। जेवियर पति-पत्नी अपने बच्चे के पीछे कड़ी मेहनत करने लगे। लड़का भी ओलंपिक पहुँचा। टोक्यो ओलंपिक में वह छठवें स्थान पर रहा। पदक से दूर, बहुत दूर....।
जेवियर चैन से नहीं बैठता था। ओलंपिक गोल्ड उसकी आँखों के आगे नाचता था। उसने अब अपने बेटे के लिए वह ट्रेनिंग स्कूल चुना, जिसमें माइकल फेल्प्स का कोच रहा बाउमैन हैड कोच था। जेवियर हर वह प्रयास कर लेना चाहता था, जो उसके बेटे के विजेता बनने में सहायक होता।
लड़का भी अपना सब कुछ झोंक रहा था। उसके जीवन का एकमात्र आंदोलन ओलंपिक गोल्ड पाने लायक स्पीड पाने का था। वह तैर रहा था और केवल तैर रहा था।
उसके कोच को भी भरोसा था उसपर। उसने पहले ही दिन से समझ लिया था कि यह लड़का कमाल करेगा। वह भी उसके साथ जी जान से लगा हुआ था।
फिर आया ओलंपिक 2024। जेवियर पति-पत्नी की उम्मीदें आसमान पर थी। बेटे का एक गोल्ड उन्हें जीवन भर का सुकून देने वाला था।
बताता चलूं, खेल छोड़ने के बाद उस पति-पत्नी ने कोई और काम नहीं किया। वे अपना सारा समय और सारा धन अपने बेटे पर खर्च करते रहे। क्यों? बस इसलिए कि एक पदक आये। स्वर्ण आये।
तो सुनिये। 2024 के ओलंपिक में उनका बेटा 4 स्वर्ण के साथ कुल पांच पदक लेकर सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी बना। फेस ऑफ द गेम, लियोन मर्चेंड! वह लियोन जो पदक तालिका में अकेले 186 देशों से आगे खड़ा है। वह अपने देश का पहला खिलाड़ी है, जिसके पास एक ओलंपिक में एक से अधिक स्वर्ण पदक है।
कुछ कहानियां तनिक लम्बी होती हैं, जो देर से पूरी होती हैं, पर जब पूरी होती है, तो कमाल होती हैं।
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सरिता जैन
सेवानिवृत्त हिन्दी प्राध्यापिका
हिसार
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